दिल्ली में डिजिटल ठगी का शिकार होने से बची महिला

सोमवार को यमुनापार में एक महिला साइबर अपराधियों का शिकार होने से बच गई। अपराधी ने महिला को डिजिटल अरेस्ट करके डराकर रकम ऐंठने की कोशिश की, लेकिन , ऐसे कोई अरेस्ट नहीं होता है।प्रीति पचौरी ब्रह्मपुरी में रहती हैं। प्रीति ने बताया कि उनके वाट्सएप पर एक अज्ञात नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले की प्रोफाइल पर दिल्ली पुलिस कमिश्नर का फोटो था। वह दंग रही गई कि आखिर पुलिस अधिकारी का फोन उनके पास क्यों आ रहा है। उन्होंने जैसे ही फोन उठाया तो अपराधी ने कहा उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया जा रहा है।उनके भतीजे को ड्रग्स के मामले में पकड़ा गया है। उसे छोड़ने के लिए दो लाख रुपये मांगने लगा। उन्होंने फोन करने वाले अपराधी से कहा डिजिटल अरेस्ट कुछ नहीं होता है और कॉल कट कर नंबर ब्लॉक कर दिया। भतीजे से भी बात की तो वह अपने घर पर ही था। महिला ने कहा, अखबार पढ़कर जागरूक न होती तो शायद वह भी ठगी जाती।साइबर अपराध के बढ़ते मामलों ने दिल्ली वासियों का जीना मुहाल कर रखा है। पुलिस कंट्रोल रूम नंबर 112 व राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर हर रोज साइबर अपराध से संबंधित 700 से 800 शिकायतें आती हैं, लेकिन उक्त शिकायतों पर मोटी रकम वाले दो से तीन प्रतिशत मामलों में ही एफआईआर दर्ज हो पाती हैं।साइबर क्राइम से संबंधित रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल साइबर ठगों ने दिल्ली के लोगों को छह महीने में करीब 175 करोड़ का चूना लगाया। इस साल लोगों के खातों से की गई ठगी की राशि में भारी वृद्धि देखी गई।इस साल जून तक साइबर ठग लोगों को 452 करोड़ का चूना लगा चुके हैं। दस माह के आंकड़े तो और चौंकाने वाला है। इस अवधि के दौरान सैकड़ों लोगों को 900 करोड़ से अधिक का चूना लगाया गया।