उत्तराखंड निकाय चुनाव: मंत्रियों की नो एंट्री, सत्ताधारी दल के लिए कड़े नियम

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राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय चुनावों के लिए कड़े नियम लागू किए हैं ताकि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी हो सकें। आचार संहिता के तहत सरकार और उसके मंत्री किसी भी ऐसे निर्णय या घोषणा से बचेंगे, जो सीधे तौर पर निकायों को प्रभावित करे। आयोग ने न केवल प्रत्याशियों के लिए, बल्कि सत्ताधारी दल के लिए भी विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं।इन नियमों के अनुसार, मंत्री केवल अपने मतदान केंद्र पर एक मतदाता के रूप में उपस्थित हो सकते हैं। उन्हें वहां किसी अन्य रूप में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी। मंत्री विभागीय अधिकारियों से कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जानकारी ले सकते हैं, लेकिन चुनाव से जुड़े अधिकारियों से कोई बैठक नहीं कर सकते। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि चुनाव के दौरान सरकारी निर्णयों का गलत फायदा न उठाया जाए।

आचार संहिता के दौरान मंत्री जनसंपर्क राशि या विवेकाधीन राशि का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा, मंत्री चुनावी माहौल में किसी भी प्रकार का वादा या सहायता नहीं दे सकते हैं। वे शासकीय दौरे को चुनाव प्रचार से नहीं जोड़ सकते और न ही सरकारी तंत्र या कर्मचारियों का चुनाव प्रचार में उपयोग कर सकते हैं।चुनाव अवधि में निकायों से संबंधित कोई नई योजना या कार्यक्रम शुरू नहीं किया जा सकेगा। इस दौरान सरकार या नगर निकाय से किसी भी प्रकार की नई घोषणा या वित्तीय स्वीकृति नहीं दी जाएगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि चुनाव के दौरान मतदाता पर किसी भी प्रकार का दबाव न पड़े और चुनाव में किसी भी पक्ष को फायदा न पहुंचे।इन सभी नियमों का पालन करने से चुनाव प्रक्रिया साफ और निष्पक्ष रहेगी, और मतदाता किसी भी प्रकार के अनावश्यक प्रभाव से बच सकेंगे।

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