51 लाख का रिकवरी नोटिस निरस्त: शिक्षा विभाग की चूक पर सवाल, रिक्शा चालक को बताया फर्जी शिक्षक

रिक्शा चालक की पीड़ा
भिनगा कोतवाली क्षेत्र के ग्राम गोडपुरवा निवासी मनोहर यादव, जो दिल्ली में रिक्शा चलाकर जीवन यापन करते हैं, को 11 दिसंबर 2024 को बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) कार्यालय से नोटिस मिला। इसमें उन्हें फर्जी शिक्षक बताते हुए 51 लाख 63 हजार 53 रुपये की रिकवरी का निर्देश दिया गया। नोटिस मिलने के बाद मनोहर यादव और उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। मनोहर ने कहा, “अधिकारियों ने हमारी जिंदगी बर्बाद करने का ही सोच लिया था। हम लोग काफी परेशान थे। अमर उजाला की सच्चाई दिखाने के बाद ही हमें न्याय मिला।”
नोटिस का निरस्तीकरण
मामले की गंभीरता को देखते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी अजय कुमार ने तत्काल नोटिस को निरस्त कर दिया। विभाग ने स्वीकार किया कि यह गलती से हुआ था। अब नया नोटिस अंबेडकर नगर जिले के अकबरपुर तहसील निवासी मुख्य आरोपी देवमणि पुत्र राम दुलारे को भेजा गया है।
क्या था पूरा मामला?
मनोहर यादव को नोटिस में आरोप लगाया गया था कि उन्होंने सुरेंद्र प्रताप सिंह नामक व्यक्ति की पहचान और दस्तावेजों का उपयोग करके श्रावस्ती के उच्च प्राथमिक विद्यालय, नव्वापुरवा में सहायक शिक्षक के पद पर नौकरी की। विभाग ने आरोप लगाया कि यह नियुक्ति कूटरचित अभिलेखों के आधार पर हुई थी।
परिवार की स्थिति
निरक्षर और रिक्शा चलाने वाले मनोहर यादव के लिए यह आरोप जीवन बर्बाद करने जैसा था। परिवार का रो-रोकर बुरा हाल था। मामला सामने आने के बाद शिक्षा विभाग ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए रिकवरी नोटिस वापस ले लिया।
मुख्य आरोपी के खिलाफ कार्रवाई
अब विभाग ने असली आरोपी देवमणि के खिलाफ जांच तेज कर दी है। उनके नाम पर नया नोटिस जारी किया गया है। साथ ही, पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया गया है।
यह घटना न केवल विभागीय लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे गरीब और अनपढ़ व्यक्ति को फर्जीवाड़े का शिकार बनाया जा सकता है। इस मामले में मीडिया की भूमिका ने न्याय दिलाने का काम किया।