Assembly Elections Jammu Kashmir : कश्मीर घाटी में भूकंप संग सियासी झटके, PDP के मुख्य प्रवक्ता ने छोड़ी पार्टी
पहला झटका भूकंप का और दूसरा राजनीतिक उथल-पुथल का रहा। चुनाव की घोषणा के बाद नेताओं का इधर-उधर जाना तेज हो गया है।
कश्मीर घाटी ने मंगलवार को कई झटके महसूस किए। पहला झटका भूकंप का और दूसरा राजनीतिक उथल-पुथल का रहा। चुनाव की घोषणा के बाद नेताओं का इधर-उधर जाना तेज हो गया है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) का दामन छोड़ कई लोगों ने अन्य दलों का दामन थामा। कुछ पीडीपी में भी शामिल हुए। अपनी पार्टी और गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक पीपुल्स आजाद पार्टी (डीपीएपी) से भी कुछ नेताओं ने इस्तीफा दिया।
जम्मू-कश्मीर के दूसरे बड़े क्षेत्रीय दल पीडीपी को एक के बाद एक दो बड़े झटके लगे। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सुहेल बुखारी और दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल से डीडीसी सदस्य डॉ. हरबक्श सिंह ने इस्तीफा दे दिया। सुबह से ही इन दोनों नेताओं के इस्तीफे को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं। डॉ. हरबक्श ने कहा था कि वह इस्तीफा देने वाले हैं लेकिन बुखारी ने इसे शुरू में नकारते हुए बाद में इसकी पुष्टि की। गौरतलब है कि तीन चरणों में जम्मू कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनावों की जारी हुई पहले चरण की अधिसूचना के साथ ही सियासी खेमों में हलचल मच गई है। और कई नेताओं और कार्यकर्त्ता एक पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी में शामिल होते दिखाई दे रहे हैं। इस बीच जो माहौल बना हुआ है उसे देख यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि सियासी खेमों में और फेर बदल देखने को मिल सकते हैं।
पार्टी का सिद्धान्तों से भटकना मुझे बेचैन कर रहा है- सुहेल बुखारी
पीडीपी के सूत्रों ने बताया कि बुखारी का इस्तीफे का कारण बशारत बुखारी को वागूरा क्रीरि विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से समर्थन देना है। हालांकि सुहेल ने कारण नहीं बताया। उन्होंने किसी राजनीतिक दल में शामिल होने से भी इनकार किया। बुखारी ने कहा कि 2019 में जब सभी नेता पीडीपी छोड़कर जा रहे थे, तो मैंने पार्टी की विचारधारा को मजबूत करने के लिए हर संभव काम किया। पार्टी के साथ मुश्किल समय में खड़ा रहने वालों को कुछ दिनों से दरकिनार किया जा रहा है। कई जगह पर ऐसा भी हुआ कि पार्टी छोड़कर फिर आने वालों का स्वागत किया जा रहा है और काम करने वालों से सुझाव तक नहीं मांगा जा रहा। सुझाव तो दूर उनसे बात करना मुनासिब नहीं समझा जा रहा। यह मायूस करने वाले हालात हैं। जिन सिद्धांतों को लेकर मैं पार्टी में आया था, पार्टी उनसे भटक रही है। मुझे इस माहौल में बेचैनी महसूस हो रही है।
पार्टी को 14 साल दिए, हमसे सलाह तक नहीं ले रहे: डॉ. सिंह
डॉ. हरबक्श के इस्तीफा देने के पीछे कारण पीडीपी में त्राल से पूर्व मंत्री अली मोहम्मद नाइक के बेटे रफीक अहमद नाइक की शमूलियत और उन्हें त्राल से समर्थन देना सामने आ रहा है। डॉ. हरबक्श सिंह अवामी इतेहाद पार्टी में शामिल हो गए हैं। एआईपी में शामिल होने के बाद सिंह ने कहा कि उन्होंने जनादेश नहीं मिलने के कारण पार्टी नहीं छोड़ी है, लेकिन एक वरिष्ठ नेता होने के नाते उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया। पीडीपी को 14 साल देने के बावजूद पार्टी ने त्राल सीट के लिए क्या फैसला लिया, इसकी जानकारी तक उन्हें नहीं दी। पीडीपी और नेकां दोनों ने हमेशा अल्पसंख्यक समुदाय की उपेक्षा की। सिंह ने कहा कि वह पीडीपी की परिवारवादी नीति के खिलाफ हैं।
पीडीपी में बगावत के कारण…बिना पूछे अपनों को बना दिया प्रभारी
पीडीपी की सोमवार को जारी निर्वाचन क्षेत्र प्रभारियों की सूची के बाद से पार्टी में बगावत शुरू हो गई। अधिकतर बागियों का कहना है कि बिना पूछे अपनों को प्रभारी बना दिया गया और उन क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों को दरकिनार कर दिया। आठ प्रभारियों की पहली सूची से कई सीनियर नेता पार्टी से खफा दिखे। खफा नेताओं में एजाज मीर, अब्दुल रहमान वीरी और अन्य कुछ शामिल हैं। रहमान वीरी को बिजबिहाड़ा से हटाकर अनंतनाग ईस्ट क्षेत्र का प्रभारी बनाया है जबकि वाची से पूर्व विधायक एजाज मीर को हटाकर गुलाम मोईउद्दीन वानी को प्रभारी बना दिया गया।
इन नेताओं का चलता रहा आना-जाना
पूर्व मंत्री अब्दुल हक खान दो साल बाद फिर पीडीपी में लैटे। खान ने पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार में ग्रामीण विकास, पंचायती राज और कानून एवं न्याय मंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने 2009 से 2018 तक विधानसभा में लोलाब निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। वह पीडीपी के टिकट पर 2008 और 2014 में कुपवाड़ा जिले के लोलाब निर्वाचन क्षेत्र से विधायक के रूप में चुने गए।
अपनी पार्टी के उपाध्यक्ष जफर इकबाल मन्हास ने अपने बेटे के साथ मंगलवार को अपनी पार्टी से इस्तीफा दे दिया और बुधवार को कांग्रेस में शामिल होंगे। जफर इकबाल मन्हास ने खुद इसकी पुष्टि की। सूत्रों के अनुसार मन्हास बुधवार को राहुल गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। पीडीपी से अलग होने के बाद मन्हास अपनी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उनके बेटे इरफान मन्हास वर्तमान में डीडीसी कौंसिल शोपियां के उपाध्यक्ष हैं।अनंतनाग जिले के कोकरनाग क्षेत्र के जनजाति के नेता चौधरी हारून खटाना ने डीपीएपी से इस्तीफा दे दिया और उनके पीडीपी में शामिल होने की संभावना है। खटाना डीपीएपी में महासचिव पद पर रहे। खटाना ने कहा कि कई पार्टियों संपर्क में हैं। कार्यकर्ताओं से विमर्श के बाद वह तय करेंगे। चौधरी पहले डीडीसी चुनावों के दौरान नेशनल कॉन्फ्रेंस से जुड़े थे।