यूपी उपचुनाव 2024, प्रतिष्ठा दांव पर, कौन बनाएगा मजबूत पकड़?

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उत्तर प्रदेश में हो रहे 9 विधानसभा उपचुनाव 2024 के लोकसभा और 2027 के विधानसभा चुनावों के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। इन चुनावों को प्रदेश की राजनीतिक दिशा का निर्धारण करने वाला माना जा रहा है, और यह BJP (भारतीय जनता पार्टी) और समाजवादी पार्टी (SP) के बीच एक साख की लड़ाई बन चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और SP के अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए यह उपचुनाव अपनी छवि को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

2024 के लोकसभा चुनावों में BJP के अपेक्षित प्रदर्शन से पार्टी ने उपचुनावों के लिए अपनी रणनीतियों में बदलाव किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद चुनावी मैदान में सक्रिय रूप से भाग लिया है, जबकि अखिलेश यादव इसे अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहे हैं। इस उपचुनाव को न केवल चुनावी मुकाबला, बल्कि आने वाली राजनीति के संकेतक के रूप में देखा जा रहा है।

 

जातीय समीकरण और चुनावी गणित

उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातीय समीकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और इन 9 सीटों पर जातीय गणित अलग-अलग है, जो चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकता है।

 

कटेहरी (अंबेडकरनगर): यहां मुख्य मुकाबला BJP और SP के बीच है, जहां अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाता निर्णायक हैं।

मझवां (मिर्जापुर): इस सीट पर बिंद समुदाय का दबदबा है और भाजपा तथा सपा ने ओबीसी उम्मीदवार उतारे हैं।

फूलपुर (प्रयागराज): इस सीट पर पटेल, यादव और मुस्लिम समुदाय का वोट बैंक निर्णायक होगा।

सीसामऊ (कानपुर): मुस्लिम बहुल इस सीट पर SP ने इरफान सोलंकी की पत्नी को टिकट दिया है, जबकि BJP ने ब्राह्मण उम्मीदवार उतारा है।

कुंदरकी (मुरादाबाद): मुस्लिम बहुल इस सीट पर BJP और SP के बीच सीधा मुकाबला है।

गाजियाबाद (गाजियाबाद): यह शहरी सीट BJP का गढ़ मानी जाती है, और यहां SP ने दलित उम्मीदवार को मैदान में उतारा है।

खैर (अलीगढ़): यहां जाट और एससी समुदाय का दबदबा है, और SP ने जाट परिवार से ताल्लुक रखने वाली उम्मीदवार को टिकट दिया है।

करहल (मैनपुरी): यह अखिलेश यादव की पारंपरिक सीट मानी जाती है, जहां SP और BJP दोनों ने यादव समुदाय से उम्मीदवार उतारे हैं।

मीरापुर (मुजफ्फरनगर): यहां BJP और आरएलडी का गठबंधन अहम भूमिका निभा सकता है।

इन उपचुनावों का महत्व

इन उपचुनावों को 2027 के विधानसभा चुनावों का ट्रेलर माना जा रहा है, क्योंकि ये चुनाव भविष्य के राजनीतिक समीकरणों को तय कर सकते हैं। इन चुनावों में बीएसपी और आरएलडी जैसी पार्टियों के लिए भी अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने की परीक्षा होगी। नतीजे आने वाले समय में यूपी की राजनीति को नया मोड़ दे सकते हैं।

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