सोने की खोज से जागी आस, गांव वाले खुशी से पागल, रोजगार की नई उम्मीद

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धरती से सोना उगलने की कहानियां अक्सर सुनने में आती हैं, लेकिन बिहार के गया जिले की गुलेलवा पहाड़ी ने एक नई कहानी को जन्म दिया है। नीमचक बथानी प्रखंड के अजय नगर गांव में स्थित यह पहाड़ी हाल ही में चर्चा का विषय बन गई है। वर्षों तक खामोश पड़ी रहने के बाद, पिछले कुछ सालों में यहां खनन की गतिविधियों ने इसे फिर से जीवंत कर दिया है।

गुलेलवा पहाड़ी पर खनन विभाग की टीम ने मशीनों से खुदाई कर 500 से अधिक बक्सों में बंद सोने जैसी चमक वाले पत्थरों को निकालने का कार्य किया। ग्रामीणों का कहना है कि 2010 से 2012 के बीच जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की जांच में पहाड़ी के अंदर सोने के संकेत मिले थे। इसके बाद, 2013 से संबंधित विभाग ने यहां कैंप लगाकर गहराई में ड्रिल मशीन के जरिए खुदाई करना शुरू किया।

इस दौरान, गुलेलवा पहाड़ी के निकट रहने वाले ग्रामीण भी खनन कार्य में शामिल हो गए। उन्होंने देखा कि विभाग की टीम ने कई बक्सों में सोना जैसी चमक वाले पत्थर निकालकर नई दिल्ली और कोलकाता स्थित प्रयोगशालाओं में भेजे। अब एक बार फिर विभाग की टीम पहाड़ी पर लौटने वाली है, जिससे स्थानीय ग्रामीणों में उत्साह की लहर दौड़ गई है।

ग्रामीणों का मानना है कि यदि सोने युक्त पत्थरों की खुदाई फिर से शुरू होती है, तो यह उनके लिए रोजगार के नए अवसर लाएगी। स्थानीय निवासी खुश हैं कि इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और वे अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे।

यहां की पहाड़ी केवल खनिज संसाधनों का भंडार नहीं, बल्कि ग्रामीणों के लिए आशा की किरण भी बन चुकी है। कई लोग इस बात से खुश हैं कि उनकी मेहनत और संघर्ष का फल आखिरकार मिलने वाला है। यदि खनन कार्य सफलतापूर्वक चलता है, तो न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि इससे आसपास के क्षेत्रों में भी विकास की नई राह खुल सकती है।

इस प्रकार, गुलेलवा पहाड़ी ने साबित कर दिया है कि धरती की गर्भ में छिपे खजाने केवल सोने की कहानियों में ही नहीं, बल्कि हकीकत में भी मौजूद हो सकते हैं। स्थानीय लोगों की मेहनत और खनन विभाग की सक्रियता से यह पहाड़ी एक नई आर्थिक संभावनाओं का केंद्र बन सकती है।

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