यूरिया के लिए रक्त के आंसू बहा रहे किसान, जिम्मेदार मौन

यूरिया के लिए रक्त के आंसू बहा रहे किसान, जिम्मेदार मौन
आनंद पब्लिक महराजगंज।
घुघली /यूरिया उर्वरक के लिए किसान रक्त के आंसू बहा रहे हैं। सुबह से शाम समितियों के चक्कर काट रहे हैं। एक एक बोरी यूरिया के समितियों पर किसान धक्के खा रहे हैं, सचिवों द्वारा अपमानित किए जा रहे हैं। फिर उन्हें एक बोरी यूरिया नहीं मिल रही है। समितियों पर बराबर यूरिया उर्वरक आ तो रही है, लेकिन जा कहां रही है। यह जांच का विषय है। समितियों के सचिव उर्वरक वितरण में पूरी तरह मनमानी पर उतर गए हैं। किसानों की शिकायत है कि ट्रकों से यूरिया बराबर समितियों पर उतर रही है, लेकिन समितियों के सचिव यूरिया का निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत लेकर मनमाने ढंग से वितरण कर रहे हैं। यही कारण है कि आज भी पर्याप्त उर्वरक आपूर्ति होने के बाद भी यूरिया को लेकर क्षेत्रीय किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। कमोवेश यही हाल प्राइवेट उर्वरक के दुकानों की भी है। मनमाने एवं भेदभावपूर्ण तरीके से यूरिया वितरण की सर्वाधिक शिकायत साधन सहकारी समिति मटकोपा, भुवनी और चौमुखा समिति से मिली है। जहां आज भी गरीब किसानों को यूरिया का एक दाना भी नसीब नहीं हुआ। यूरिया मिलने के आस में किसान हर रोज समितियों पर लाइन लगा रहे हैं और शाम होते बिना खाद लिए अपने घरों को बैरंग वापस चले जाते हैं। सबसे बुरी स्थिति का सामना महिला किसानों को करना पड़ रहा है। उनका हालत देख हर किसी का दिल पसीज जा रहा, लेकिन पत्थर दिल सचिव के दिलोदिमाग पर कोई फर्क ही नहीं पड़ता। महिलाएं सुबह समिति पर आ रही हैं और शाम को बिना यूरिया लिए अपने तकदीर को कोसते घर वापस चली जा रही हैं।यूरिया वितरण में सबसे अधिक ज्यादती साधन सहकारी समिति के सचिव विनोद प्रजापति द्वारा किया जा रहा है। वह गरीब एवं निरीह किसानों को खुला चैलेंज दे रहे हैं, कि जिसे जहां जाना है वह जाए। हम देख लेंगे। किसान इसे लेकर इतना दुखी हैं कि मानो उनके शरीर को काठ मार गया हो। किसानों का कहना कि अगर यूरिया वितरण की निष्पक्ष जांच कराई जाय तो भ्रष्टाचार सामने आ जाएगा, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि जांच के नाम सिर्फ लीपापोती ही की जाती है। किसानों को तो सिर्फ जिलाधिकारी पर ही भरोसा रह गया है कि वही दोषी सचिवों पर कार्रवाई कर वितरण व्यवस्था दुरुस्त कर सकते हैं। किसानों ने यूरिया उर्वरक न मिलने पर अपनी प्रतिक्रिया इस प्रकार दी है।
इस संबंध में एडीओ कोआपरेटिव कमलेश कुमार शाही का कहना है कि वह अपना जांच रिपोर्ट वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों को प्रेषित कर दिया है। उनका कहना है कि कुछ सचिवों द्वारा निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत लेकर यूरिया वितरित किया गया है। फिर भी किसानों को घबराने की जरूरत नहीं है। सभी को यूरिया उर्वरक उपलब्ध कराने का उनके स्तर से प्रयास किया जा रहा है। आरोपों के संबंध में साधन सहकारी समिति मटकोपा के सचिव विनोद प्रजापति से पक्ष जानने के लिए दो बार उनके फोन नंबर 9170967052 पर पूर्वान्ह 12.38 और पूर्वान्ह 1.38 बजे दो बार फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
* हमारे मटकोपा समिति पर भ्रष्टाचार का बोलबाला है। यूरिया का बंदरबाट हो रहा है। दूसरे समिति के सचिव यूरिया दे नहीं रहे हैं। अब हम जाएं तो जाएं कहां। प्रशासन के लोग हो बताएं। कई बार प्रयास करने के बाद भी हमे एक बोरी यूरिया नहीं मिली।
तूफानी किसान पटखौली
* यूरिया उर्वरक को लेकर मैने बहुत कष्ट उठाया। उर्वरक के लिए मैं साधन सहकारी समिति मटकोपा पर पांच बार गया। हर बार सचिव खतौनी और आधार की फोटो प्रति जमा कराते थे, लेकिन देते एक बोरी भी नहीं। मैं सचिव के सामने बहुत गिड़गिड़ाया भी फिर भी उनका दिल नहीं पसीजा। थक हार कर यूरिया के लिए गोरखपुर के एक रिश्तेदार से संपर्क किया। उन्होंने हमे दो बोरी यूरिया परतावाल से दिलवाया। इस भागदौड़ में हमे 1000 रुपए व्यर्थ में खर्च करने पड़े।
सुबास शर्मा किसान ग्राम पिपरिया करंजहा
* किसान इन दिनों यूरिया को लेकर जो दंश झेल रहा है, वह किसी से छिपी नहीं है।एक तो यूरिया उर्वरक किसानों को मिल नहीं रहा, दूसरे समिति के सचिव द्वारा गरीब और बेबस किसानों के साथ बदसलूकी भी की जा रही है। दो दिन लगातार लाइन में खड़े रहे। नंबर आया। फिर भी उन्हें बिना खाद दिए सचिव ने वापस लौटा दिया।
जोखू गुप्ता.. किसान पिपरिया करंजहा
* दो दिनों तक हम यूरिया के लिए मटकोपा समिति पर धूप में खड़े रहे। हम यूरिया के लिए सचिव से याचना करते रहे, लेकिन उन्होंने यूरिया दिया भी नहीं उल्टे आधार और खतौनी की कापी फेंकवा दिया। गरीब और बेबस किसानो के साथ इतना नाइंसाफी हो रही है।इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई करने के बजाय चुप बैठे हैं।
रामचंद्र चौधरी किसान निबिअहवा टोला