शौक से सेहत तक: गार्डनिंग से आर्गेनिक फल-सब्जियों का लाभ और मानसिक शांति

बिलासपुर के कई लोग अब गार्डनिंग को केवल एक शौक के रूप में नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साधन के रूप में अपना रहे हैं। अपने घरों की छतों और आंगनों में आर्गेनिक फल-सब्जियां उगाकर ये लोग ताजगी और शुद्धता का आनंद ले रहे हैं।
आर्गेनिक फसलें, मानसिक शांति
रामा ग्रीन सिटी के सीएल पटेल ने अपने टेरेस पर टमाटर की खेती कर रखी है, जिससे उन्हें बाजार की महंगाई से छुटकारा मिल गया है। वहीं, केनेथ कालिंस ने अपने टेरेस पर विभिन्न फलों के पौधे लगाए हैं और जैविक खाद का उपयोग करके सेहतमंद फसलें उगा रहे हैं। इनका मानना है कि गार्डनिंग से उन्हें न केवल शारीरिक ताजगी मिलती है, बल्कि मानसिक शांति भी प्राप्त होती है।
जैविक खेती का महत्व
बाजार में मिलने वाले केमिकल-युक्त फलों के विपरीत, बिलासपुर के ये लोग अपने बगीचों में खुद जैविक खाद तैयार कर, पौष्टिक और स्वादिष्ट फल-सब्जियां उगा रहे हैं। उनका कहना है कि आर्गेनिक फसलों का स्वाद और सेहत पर पड़ने वाला सकारात्मक प्रभाव किसी अन्य चीज से तुलना नहीं किया जा सकता।