क्या बसपा में बड़ा बदलाव आने वाला है? मायावती का सख्त रुख!
गठबंधन या अकेली लड़ाई? मायावती का बड़ा बयान
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने एक बड़ा बयान दिया है, जिसे आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है। कांशीराम जयंती के अवसर पर उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि पार्टी किसी भी पारिवारिक रिश्ते से प्रभावित नहीं होगी। उनके इस बयान को पार्टी के भीतर हो रही हलचल और हाल ही में भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से बाहर किए जाने से जोड़कर देखा जा रहा है।
रिश्ते-नाते बसपा से अलग, बहुजन समाज पर पूरा भरोसा
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मायावती ने कहा कि कुछ जातिवादी और सांप्रदायिक दल बसपा को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके परिवार के लोग भी सिर्फ बहुजन समाज का हिस्सा हैं, लेकिन पार्टी के फैसलों में किसी भी रिश्तेदारी का दखल नहीं होगा। उनका यह बयान आकाश आनंद को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच आया है, जिससे साफ हो गया कि पार्टी अब पूरी तरह संगठन के मूल सिद्धांतों पर चलेगी।
छोटे दलों के उभरने से बसपा को कोई खतरा नहीं
मायावती ने बिना किसी का नाम लिए आरोप लगाया कि कुछ लोग बसपा को कमजोर करने के लिए छोटे-छोटे संगठन बना रहे हैं। इसे आजाद समाज पार्टी और चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ निशाने के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने बसपा कार्यकर्ताओं को सावधान रहने की सलाह दी और कहा कि पार्टी के हितों के खिलाफ काम करने वालों से सतर्क रहना जरूरी है।
बहुजन समाज मेरे साथ, सत्ता में वापसी की तैयारी!
बसपा प्रमुख ने कहा कि 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद बहुजन समाज का आत्मविश्वास बढ़ा है। अब उन्हें फिर से सत्ता में लौटने के लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे पार्टी को मजबूत करें और जातिवादी राजनीति के झांसे में न आएं।
वक्फ संशोधन बिल पर भी साधा निशाना
वक्फ संशोधन बिल पर जारी विवाद पर भी मायावती ने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि सत्ता और विपक्ष इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं, जबकि इस पर आम सहमति बनाकर हल निकाला जा सकता था। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह इस मामले पर पुनर्विचार करे।