संभल कवि सम्मेलन: “कहां गया हाय मेरा दिन वो सलोना रे…” पर गूंजीं तालियां, उमंग और उत्साह का माहौल

संभल के दुर्गा कॉलोनी स्थित विक्रम पैलेस में शुक्रवार की शाम सद्भावना कवि सम्मेलन एवं मुशायरे की महफिल सजी। इसमें देश के कई नामचीन कवि और शायरों ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कर लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। हास्य कवियों की प्रस्तुति से लोगों के चेहरे पर ऐसी मुस्कान बिखरी, जो कार्यक्रम के अंत तक नहीं बनी रही। देर रात तक चले इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
इस दौरान सहयोगियों को सम्मानित भी किया गया। अमर उजाला और कॉन्टिनेंटल सीड्स एंड केमिकल्स लिमिटेड द्वारा यह कवि सम्मेलन एवं मुशायरा आयोजित किया गया। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया शामिल रहे। इनके अलावा एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई व आचार्य प्रमोद कृष्णम की भी उपस्थिति रही। कवि नीलोत्पल मृणाल ने काव्य पाठ से समां बांध दिया।
उन्होंने बीते दिनों को याद करते हुए अपनी रचना सुनाई… हाय मेरा दिन वो सलोना रे, दिन वो सलोना रे। हाथों में था मेरे माटी का खिलौना रे। वही मेरा चांदी था वही सोना रे, कहां गया हाय मेरा दिन वो सलोना रे, दिन वो सलोना रे। वहीं, स्वयं श्रीवास्तव ने कहा एक शख्स क्या गया, कि पूरा काफिला गया। तूफ़ां था तेज, पेड़ को जड़ से हिला गया। जब सल्तनत से दिल की ही रानी चली गई, फिर क्या मलाल तख्त गया या किला गया।
फिल्मों के गीतों का प्रभाव जरूर कम हुआ है। आज गीतों में रचनाकार उतने अच्छे शब्दों का चयन नहीं कर रहे हैं। हिंदी के कवियों के पास 30 साल पुराने गीत हैं। ऐसा नहीं है कि नया सृजन नहीं कर सकते लेकिन सोच में नवाचार लाना बड़ा श्रम मालूम होता है। नए दौर के प्रेम पर उन्होंने कहा कि आज समाज में तलाक नहीं बल्कि ब्रेकअप बड़ी घटना है।