MahaKumbh: 58 साल पहले बिंदु का देश तो छूटा, पर गंगा से नाता नहीं टूटा, 36 साल से निरंतर कर रही हैं कल्पवास

MahaKumbh: 58 साल पहले बिंदु का देश तो छूटा, पर गंगा से नाता नहीं टूटा, 36 साल से निरंतर कर रही हैं कल्पवास

देश तो 58 साल पहले ही छूट गया था, लेकिन मां गंगा से नाता आज तक नहीं टूट सका। अर्धकुंभ हो चाहें महाकुंभ बिंदु देवी कल्पवास के लिए पिछले 36 वर्षों से यहां पहुंच रही हैं। 80 साल की बिंदु गंगा से एकदम अपनी मां की तरह ही प्रेम करती हैं।

यही कारण है कि हर साल माघ के महीने में संगम के तट पर स्नान करने जरूर आती हैं। 1966 में बिंदु भारत से थाईलैंड चली गईं और वहीं की होकर रह गईं। त्रिवेणी के तट पर कल्पवास के लिए पहुंचीं बिंदु हर रोज गंगा में डुबकी लगा रही हैं।

मूलरूप से गोरखपुर की रहने वाली बिंदु का शरीर अब अशक्त भी हो चुका है। इसीलिए दामाद और बेटी उनको कल्पवास कराने के लिए लेकर आए हैं। बिंदु देवी ने बताया कि वह पूरी तरह से कल्पवास के नियमों का पालन कर रही हैं।

दर्शन, पूजन, स्नान और ध्यान नियमित रूप से हो रहा है। बताया कि वह अभी तक तीन महाकुंभ और कई अर्धकुंभ में शामिल हो चुकी हैं। इस बार थाइलैंड से सीधे प्रयागराज महाकुंभ में शामिल होने के लिए पहुंची हैं।

शादी के बाद पति के साथ थाइलैंड में बस गईं बिंदु

बिंदु ने बताया कि 1966 में शादी के बाद पति सभाजीत राम त्रिपाठी के साथ ही थाइलैंड में बस गई थीं। पति का निधन 1980 में होने के बाद चार बेटों और दो बेटियों की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई।
एक बेटी साइंटिस्ट और दूसरी रहती है भारत में
चार बेटों में से दो मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर हैं, जबकि बाकी दो बड़ी कंपनियों में कार्यरत हैं। एक बेटी साइंटिस्ट और दूसरी माधवी भारत में ही रहती है।
तट पर टेंट में हो रहा है निवास और कल्पवास बिंदु देवी के दामाद विद्यारत्न ने बताया कि उनकी सास पिछले 36 सालों से हर साल कल्पवास के लिए प्रयागराज आती हैं। यहां हम लोगों ने एक एक टेंट बुक किया और एक महीने तक रहकर उनके साथ कल्पवास करते हुए प्रतिदिन स्नान और पूजा पाठ कर रहे हैं।

बेटी माधवी ने बताया कि वह भी मां के साथ प्रतिदिन संगम किनारे पहुंचती हैं। कहा कि यह उनके लिए सौभाग्य की बात है कि मां के साथ प्रयागराज में कुंभ की डुबकी लगाने का मौका मिला। बताया कि मां थाईलैंड रहती जरूर हैं, लेकिन वह हर वर्ष कल्पवास के लिए यहां आती हैं।

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