बेऊर जेल में पार्टी और फोटोशूट का मामला आया सामने, प्रशासन की लापरवाही पर गंभीर आरोप

Patna News: पटना की बेऊर जेल में नाच-गाना की पार्टी, फोटोशूट और नशे का अवैध व्यापार होने से संबंधित सनसनीखेज खबर सामने आई है। एक वायरल वीडियो से ऐसा खुलासा हुआ है, जिसे लेकर जेल प्रशासन की कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर…।
राजधानी पटना के बेऊर केंद्रीय कारा से एक बार फिर चौंकाने वाला मामला सामने आया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में कैदी जेल के अंदर खुलेआम पार्टी करते, गाना बजाते और हाई-टेक कैमरे से तस्वीरें खींचते नजर आ रहे हैं। यह मामला न केवल जेल मैनुअल का उल्लंघन है, बल्कि जेल प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
हालांकि इस वायरल वीडियो की पुष्टि अमर उजाला नहीं करता है।जेल के अंदर नशीले पदार्थों के कारोबार का आरोप
सूत्रों के मुताबिक, बेऊर जेल में जेल प्रबंधक और कर्मचारियों की मिलीभगत से शराब और गांजे का अवैध व्यापार चल रहा है। एक पुलिसकर्मी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जेल गेट से लेकर अंदर तक सब कुछ ‘मैनेज’ होता है। उन्होंने बताया कि शाम के समय, जब कैदी अपने वार्ड में बंद होते हैं, उसी दौरान शराब, सिगरेट और गांजा जैसे नशीले पदार्थ जेल के अंदर पहुंचाए जाते हैं। आरोप है कि इस पूरे खेल के पीछे जेल सुपरिंटेंडेंट और राइटर की मुख्य भूमिका होती है।
मूल्य में भारी अंतर
एक सिगरेट की कीमत, जो बाहर 10 रुपये होती है, जेल के अंदर 100 रुपये तक बढ़ जाती है। वहीं, खैनी की कीमत 50 रुपये और शराब की एक निप (180ml) 1000 रुपये में बेची जाती है। इस कमाई का हिस्सा जेल सुपरिंटेंडेंट और अन्य कर्मियों में बंटता है।
कुख्यात कैदियों की पहचान
वायरल वीडियो में उजली टीशर्ट पहने अभिषेक नाम का व्यक्ति दिख रहा है, जो हाजीपुर के जंदाहा का निवासी है। वह कई बड़े सोना लूटकांड का आरोपी रहा है। कुछ समय पहले उसे भागलपुर जेल भेजा गया था, लेकिन ऊंची रिश्वत के दम पर उसे दोबारा पटना के बेऊर जेल में वापस लाया गया।
जेल सुपरिंटेंडेंट पर पहले से आरोप
हाल के दिनों में बेऊर जेल के सुपरिंटेंडेंट विधु कुमार सुर्खियों में रहे हैं। आर्थिक अपराध इकाई ने उनकी संपत्ति पर छापामारी की थी। इस कार्रवाई में आय से अधिक संपत्ति के सबूत मिले। यह मामला उनके खिलाफ पहले ही सवाल खड़े कर चुका है।
मोबाइल और तकनीकी उपकरणों की आसान उपलब्धता
बेऊर जेल में कैदियों को आसानी से 4G और 2G मोबाइल फोन मिल जाते हैं। कई बार छापामारी और कार्रवाई होने के बावजूद, इस पर अंकुश लगाना प्रशासन के लिए अब तक एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। इस घटना ने जेल प्रशासन की भूमिका को कठघरे में खड़ा कर दिया है। यह स्पष्ट है कि बिना प्रशासन की मिलीभगत के इस तरह का अवैध कारोबार और लग्जरी सुविधाएं संभव नहीं हैं।
क्या कार्रवाई होगी?
वायरल वीडियो और आरोपों के बाद अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वरीय अधिकारी इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। जेल की सुरक्षा व्यवस्था में सुधार और अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए ठोस कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है।