दिल्ली: ग्रीन कॉरिडोर के ज़रिए 26 साल के युवक का दिल 19 साल के सूरज के सीने में धड़का, RML अस्पताल में हुआ इलाज

दिल्ली: ग्रीन कॉरिडोर के ज़रिए 26 साल के युवक का दिल 19 साल के सूरज के सीने में धड़का, RML अस्पताल में हुआ इलाज

उत्तर  प्रदेश के एटा में रहने वाले 19 साल के सूरज के सीने में अब 26 साल के सरजीत सिंह का दिल धड़केगा। बृहस्पतिवार को उसे डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दूसरी जिंदगी मिली। करीब 12 घंटे चली सर्जरी के बाद सूरज का सफल हृदय प्रत्यारोपण हुआ।

सूरज लंबे समय से दिल के दाहिने हिस्से में कार्डियोमायोपैथी से परेशान था। इस रोग में हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। दिल रक्त को ठीक से पंप नहीं कर पाता। इस रोग के कारण सूरज को सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द, बेहोशी, घबराहट सहित दूसरी समस्याएं हो रही थी। दवाएं भी असर नहीं कर रही थी। जिंदा रहने के लिए हृदय प्रत्यारोपण के अलावा उसके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था।

राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) से ब्लड मैच के साथ हृदय की उपलब्धता मिलते ही डॉक्टरों ने सर्जरी का फैसला लिया। सर्जरी के लिए कार्डियो थोरेसिक वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग के प्रमुख डॉ. विजय ग्रोवर के नेतृत्व में प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र सिंह झाझरिया, डॉ. पलाश अय्यर के अलावा कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. रंजीत नाथ, एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पुनीत अग्रवाल और कार्डियक एनेस्थीसिया विभाग के प्रमुख डॉ जसविंदर कोहली व अन्य सदस्यों की टीम बनाई गई।

बुधवार शाम करीब पांच बजे गंगाराम अस्पताल से ग्रीन कॉरिडोर बनाकर दिल लाया गया। शाम करीब साढ़े पांच बजे सर्जरी शुरू हुई और सुबह करीब पांच बजे सर्जरी खत्म कर मरीज को आईसीयू में शिफ्ट किया गया।

डॉ. नरेंद्र सिंह झाझरिया ने बताया कि हृदय प्रत्यारोपण सफल रहा है। मरीज ठीक है, लेकिन अगले सात दिनों तक गहन निगरानी में रहेगा। इस दौरान देखा जाएगा कि मरीज का शरीर दूसरे व्यक्ति का दिल स्वीकार करता है या नहीं। इन दिनों विशेष सावधानी रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि मरीज ठीक हो जाएगा। उन्होंने कहा कि युवक को बचपन से दिल की गंभीर रोग था। ऐसा सामान्य नहीं होता। मरीज के पास हृदय प्रत्यारोपण के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। पहले भी उसे बुलाया गया लेकिन दिल न मिलने पर सर्जरी नहीं हो पाई। बता दें कि डॉ. राम मनोहर लोहिया में यह दूसरा सफल हृदय प्रत्यारोपण है।

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