रेलवे में फर्जीवाड़ा, नौकरी के नाम पर इंटरव्यू और ट्रेनिंग के बाद ठगी का खुलासा

बिहार में रेलवे नौकरी के नाम पर एक अंतरराज्यीय गिरोह द्वारा चलाए जा रहे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। यह गिरोह बेरोजगार युवाओं को रेलवे में नौकरी का झांसा देकर लाखों रुपये ठगी कर रहा था। आरोपित फर्जी ज्वाइनिंग लेटर जारी करते थे और छोटे सेंटरों पर ट्रेनिंग भी कराते थे। पुलिस ने इस गिरोह का पर्दाफाश करते हुए सोनपुर स्टेशन से दो संदिग्ध आरोपियों को हिरासत में लिया, जिनके पास से दो आई कार्ड बरामद हुए। ये आई कार्ड टिकट कलेक्टर के नाम से थे और पूरी तरह असली प्रतीत हो रहे थे। गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान दीपक कुमार तिवारी और सक्षम श्रीवास्तव के रूप में हुई, जो पश्चिमी चंपारण के निवासी हैं।
पुलिस पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि यह गिरोह बिहार, झारखंड, उड़ीसा और बंगाल जैसे राज्यों में फैल चुका था। ये लोग उन युवाओं को निशाना बनाते थे, जो हिंदी भाषी नहीं होते और नौकरी के लिए तैयार रहते थे। गिरोह के सदस्य इन लोगों को रेलवे की नौकरी का झांसा देकर उनसे मोटी रकम वसूलते थे। पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि इस गिरोह में रेलवे के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत भी थी।
पुलिस ने सोनपुर डिवीजन के डीआरएम ऑफिस के सीसीटीवी फुटेज को भी जब्त किया, जिसमें आरोपित आरोपी डीआरएम ऑफिस में जाते हुए दिखाई दे रहे थे। जांच में यह भी सामने आया कि रेलवे के डीआरएम ऑफिस में ही फर्जी इंटरव्यू आयोजित होते थे, और रेलवे के अस्पतालों में मेडिकल जांच की जाती थी। इसके बाद इन युवाओं को ट्रेनिंग भी दी जाती थी।
फर्जी ट्रेनिंग का मामला सोनपुर डिवीजन के अलावा समस्तीपुर और दानापुर डिवीजन में भी फैला हो सकता है। पुलिस ने पश्चिमी चंपारण के ग्राम भटहा थाना क्षेत्र के पप्पू कुमार के मकान से रेलवे सुरक्षा बल का फर्जी प्रशिक्षण केंद्र भी पकड़ा। यहां से कई फर्जी दस्तावेज, देसी पिस्तौल, कारतूस, खाकी वर्दी, लैपटॉप और डिजिटल कैमरा बरामद किए गए। इस फर्जी प्रशिक्षण केंद्र के संचालन के दौरान एक आरोपी, सन्नी कुमार को भी गिरफ्तार किया गया।
सोनपुर जीआरपी के थाना अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि चंदन कुमार नामक एक रेलवे कर्मचारी, जो डीआरएम ऑफिस में काम करता था, रेलवे में नौकरी लगवाने का झांसा देकर युवाओं से पैसे वसूलता था। यह गिरोह रेलवे के विभिन्न पदों पर, जैसे टिकट बुकिंग क्लर्क, टेक्नीशियन और ग्रुप डी में फर्जी नियुक्ति पत्र जारी करता था। आरोपी एक-दो महीने तक कैंडिडेट्स को काम पर लगाकर सैलरी भी देते थे, फिर अचानक गायब हो जाते थे।
पुलिस ने इस गिरोह के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है और अब तक पांच लोगों को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है। यह मामला एक बड़े अंतरराज्यीय रैकेट की ओर इशारा करता है, और पुलिस इसका पर्दाफाश करने में जुटी हुई है।