म्यूल अकाउंट से हो रही बैंकिंग धोखाधड़ी, सेकेंड में अकाउंट खाली, सरगना तक फैला है नेटवर्क

साइबर अपराधी अब सिंडिकेट बनाकर ठगी की रकम म्यूल अकाउंट्स के माध्यम से मनी लांड्रिंग कर रहे हैं। म्यूल अकाउंट्स वे बैंक खाते होते हैं जिन्हें अपराधी निर्दोष व्यक्तियों के नाम पर खोलते हैं। इन खातों का इस्तेमाल ठगी की रकम को एक से दूसरे खाते में ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है, जिससे जालसाजी की रकम की ट्रैकिंग और उसकी वापसी में कठिनाई होती है। साइबर अपराधी इन खातों का उपयोग मनी लांड्रिंग के लिए करते हैं, और ठगी की रकम को डिजिटल गेटवे जैसे गेमिंग ऐप, जुए की वेबसाइटों, फर्जी स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफार्मों, और अन्य अवैध वेबसाइटों पर भेजते हैं।
पटना साइबर थाने में हाल ही में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें म्यूल अकाउंट्स का उपयोग किया गया था। इन मामलों में पीड़ितों को शेयर ट्रेडिंग और निवेश के नाम पर ठगा गया, और उनकी रकम म्यूल अकाउंट्स में जमा हुई। फिर उसे गेमिंग एजेंट्स तक भेजा गया, जो रकम को बिटकॉइन में बदलकर बेच देते हैं। इस प्रक्रिया में रकम कई लेयर्स के माध्यम से ट्रांसफर होती रहती है, जिससे रकम का पता लगाना और वापस करना मुश्किल हो जाता है।
नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) भी इस तरह की शिकायतों की जांच करता है। वे ठगी में इस्तेमाल हुए मोबाइल नंबर और आइएमईआई नंबर को ट्रैक करते हैं और ब्लॉक करते हैं। जनवरी से नवंबर तक 3842 मोबाइल नंबर और 1290 आइएमईआई नंबर को ब्लॉक किया गया है, ताकि ठगी की प्रक्रिया को रोका जा सके। साइबर अपराधियों के इन सिंडिकेट्स को पकड़ना और इनकी गतिविधियों पर काबू पाना अब एक बड़ी चुनौती बन चुका है।