Haldwani: बीच रास्ते चालक बदलने से रोडवेज बसों में खतरा, यात्री परेशान

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काठगोदाम डिपो में दिल्ली रूट पर चलने वाली 12 सीएनजी बसों में चालक की जानकारी रखना कठिन हो रहा है। इसका कारण यह है कि इन बसों के मालिक अपनी मर्जी से बीच रूट पर, जैसे रामपुर, रुद्रपुर और मुरादाबाद में चालक बदल देते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि किसी दुर्घटना की स्थिति में चालक के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती। काठगोदाम डिपो की इन बसों के लिए न तो ड्यूटी स्लिप तैयार की जाती है और न ही चालकों का पुलिस सत्यापन होता है।अनुबंधित बसों में चालक और परिचालक की भूमिकाएं अलग-अलग होती हैं। नियम के अनुसार, चालक को अपनी ड्यूटी शुरू करने से पहले स्टेशन प्रभारी को अपना लाइसेंस दिखाना होता है, उसके बाद उसे ड्यूटी पर भेजा जाता है। यह प्रक्रिया हल्द्वानी डिपो में सही से लागू की जाती है, लेकिन काठगोदाम डिपो में इसका पालन नहीं होता। काठगोदाम डिपो के एआरएम राजेंद्र आर्या के अनुसार, वे बसों के चालकों का केवल आधार नंबर लेते हैं और मालिक अपनी सुविधा के अनुसार रास्ते में चालक बदल सकते हैं।

इस स्थिति के बारे में कई परिचालकों ने एआरएम को पत्र लिखकर या अन्य तरीकों से जानकारी दी है कि यदि कोई दुर्घटना होती है, तो उन्हें चालक के बारे में कुछ नहीं पता होता, जिससे चालक को पकड़ने में परेशानी होती है।निगम प्रशासन के पास भी इन चालकों की जानकारी नहीं होती। सूत्रों के अनुसार, लगभग आठ महीने पहले टांडा जंगल के पास एक साधारण रोडवेज बस दुर्घटना हुई थी, जिसमें उसी चालक को अगले दिन वॉल्वो बस चलाते हुए देखा गया था।हल्द्वानी डिपो में नियमों का पालन पूरी तरह से होता है। वहां चालक अपनी वर्दी पहनकर स्टेशन प्रभारी को अपना लाइसेंस दिखाते हैं और हस्ताक्षर के बाद ड्यूटी पर भेजे जाते हैं। ड्यूटी स्लिप भी बनाई जाती है।अनुबंधित बसों में चालकों का सत्यापन आवश्यक है और बीच रूट पर चालक बदलने की कोई अनुमति नहीं होनी चाहिए। इस समस्या को गंभीरता से लिया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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