38वें राष्ट्रीय खेल: प्रदेश में ऑल वेदर पूल की कमी, तैराक बेंगलुरु जा रहे; जिम्मेदार चुप्पी साधे हुए हैं

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प्रदेश इस बार 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेज़बानी करने जा रहा है, लेकिन एक बड़ी समस्या है—यहां कोई ऑल वेदर पूल नहीं है। इसका मतलब यह है कि प्रदेश के तैराकों को अभ्यास के लिए बेंगलुरु जैसे अन्य शहरों में जाना पड़ता है, जहां उन्हें सभी सुविधाएं मिलती हैं। ये राष्ट्रीय खेल 28 जनवरी से 14 फरवरी तक होंगे, और सर्दी के मौसम में तैराकी के लिए ऑल वेदर पूल की जरूरत होती है।हालांकि, काशीपुर में एक निजी ऑल वेदर पूल है, लेकिन उसकी लंबाई केवल 25 मीटर है, जो राष्ट्रीय खेलों की तैयारी के लिए पर्याप्त नहीं है। यहां केवल बेसिक तैराकी की ट्रेनिंग दी जाती है। इस वजह से, प्रदेश के अच्छे तैराकों को हर साल सर्दियों में बेंगलुरु जाना पड़ता है, जहां 50 मीटर का पूल है और वे वहां अपनी तैयारी कर सकते हैं।

गौलापार अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में एक 50 मीटर का पूल है, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार है, लेकिन यह ऑल वेदर पूल नहीं है। इसमें हॉट वाटर पंप की सुविधा नहीं है, इसलिए यह सर्दियों में उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं है। अगर समय रहते इस पूल को ऑल वेदर बनाया जाता, तो प्रदेश के तैराकों को बाहर जाने की जरूरत नहीं होती और यहां ही बेहतर अभ्यास कर सकते थे।इस समस्या का समाधान करने के लिए, प्रदेश सरकार ने हल्द्वानी में एक ऑल वेदर पूल बनाने की योजना बनाई है, और यह जल्द ही पूरा होगा। इससे प्रदेश के तैराकों को भविष्य में बाहर नहीं जाना पड़ेगा, और वे अपनी पूरी तैयारी यहां कर सकेंगे। इस पहल से प्रदेश के तैराकों की ट्रेनिंग और प्रदर्शन में भी सुधार होगा।

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