जबलपुर: ई-सिम फ्रॉड से एक लाख की ठगी, ओटीपी और बैंक मैसेज का नहीं चला पता

जबलपुर के गढ़ा क्षेत्र में एक साइबर क्राइम का मामला सामने आया है, जहां ठगों ने ई-सिम तकनीक का इस्तेमाल कर एक पीड़ित के बैंक खाते से एक लाख रुपये निकाल लिए। यह घटना डिजिटल सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं को उजागर करती है, खासकर जब से टेलिकॉम कंपनियां ई-सिम तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा रही हैं।
पीड़ित नरेंद्र कुमार त्रिपाठी, जो नारायण नगर गार्डन के निवासी हैं और पंजाब नेशनल बैंक की जवाहरगंज शाखा में खाता रखते हैं, के मोबाइल नंबर पर उनका खाता रजिस्टर्ड था। 9 जून 2024 को उनके मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर से कॉल आई, जिसमें खुद को एयरटेल कंपनी का कर्मचारी बताकर कहा गया कि उनके क्षेत्र में 5G नेटवर्क चालू हो गया है। इसके कुछ ही देर बाद उनका मोबाइल नेटवर्क बंद हो गया और उनकी सिम कार्ड काम करना बंद कर दी। बाद में पता चला कि ठगों ने उनकी सिम को ई-सिम में बदल दिया था।
11 जून 2024 को जब नरेंद्र ने अपना बैंक खाता चेक किया, तो उन्होंने देखा कि उनके खाते से यूपीआई के जरिए ₹95,000 और ₹4,999 की ट्रांजैक्शन हो चुकी थी। इस पर उन्हें समझ में आया कि वह साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो गए हैं। उन्होंने तुरंत कस्टमर केयर से संपर्क कर अपना खाता ब्लॉक करवा लिया। इसके बाद, जब उन्होंने एयरटेल ऑफिस में जाकर जानकारी ली, तो उन्हें बताया गया कि उनकी सिम को ई-सिम में बदल कर ठगों ने उनके खाते से पैसे ट्रांसफर कर लिए।
पुलिस ने पीड़ित की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है। यह घटना डिजिटल धोखाधड़ी के बढ़ते खतरे को दिखाती है और लोगों को डिजिटल पेमेंट सिस्टम और टेलिकॉम सेवाओं के उपयोग में सतर्क रहने की आवश्यकता है।
लोगों को ऐसे अपराधों से बचने के लिए अनचाहे कॉल्स के दौरान अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचना चाहिए, खासकर जब कॉल करने वाला खुद को टेलिकॉम कंपनी का कर्मचारी बताता हो। अगर अचानक मोबाइल नेटवर्क काम करना बंद कर दे, तो यह एक संकेत हो सकता है कि सिम स्वैप हो गया है। इसके अलावा, ग्राहकों को अपने बैंक ट्रांजैक्शन्स की निगरानी करने के लिए बैंक अलर्ट्स सक्रिय करने चाहिए।
यह घटना डिजिटल साक्षरता और बढ़ती तकनीकी चुनौतियों से निपटने के लिए जागरूकता की आवश्यकता को रेखांकित करती है, और उम्मीद की जा रही है कि जांच के बाद ठगों की पहचान हो सकेगी।