‘सांसों के लिए संसद चलो’: दिल्ली की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों का हुजूम, केंद्र से मांगा समाधान

नई दिल्ली: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राजधानी दिल्ली के निवासियों ने बुधवार को वायु प्रदूषण के खिलाफ संसद भवन के पास विरोध प्रदर्शन किया। “संसद चलो” नारे के साथ प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार से हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए ठोस नीति बनाने की मांग की। इस विरोध प्रदर्शन में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने हिस्सा लिया, जो खराब वायु गुणवत्ता से हो रही स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर बेहद चिंतित हैं।
दिल्ली में प्रदूषण का खतरनाक स्तर
बीते एक महीने से दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्थिति में बना हुआ है। जहरीली धुंध और खराब हवा के कारण लोगों को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, बुधवार सुबह आनंद विहार में AQI 311, बवाना में 341, जहांगीरपुरी में 330, पंजाबी बाग में 326, और नजफगढ़ में 295 दर्ज किया गया। बीती रात तेज हवाओं के कारण प्रदूषण स्तर में हल्की गिरावट देखने को मिली, लेकिन सुबह के समय कई इलाकों में स्मॉग की चादर छाई रही।
मौसम के बावजूद मामूली सुधार
दिन के दौरान मामूली सुधार के बाद शाम को हवाओं की गति धीमी पड़कर 4 किमी प्रति घंटा रह गई। इसके परिणामस्वरूप वायु गुणवत्ता सूचकांक में केवल छह अंकों का सुधार हुआ। मंगलवार का औसत AQI 343 पर था, जो सोमवार के 349 से मामूली कम रहा। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम में सुधार के बावजूद अगले तीन दिनों तक हवा की गुणवत्ता “बेहद खराब” श्रेणी में रहने की संभावना है।
स्वच्छ हवा की मांग
प्रदर्शनकारियों ने वायु प्रदूषण को लेकर सरकार की निष्क्रियता पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि साफ हवा हर नागरिक का अधिकार है और इसके लिए एक राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता है। बच्चों और बुजुर्गों को प्रदूषण से बचाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने सरकार से दीर्घकालिक योजनाएं बनाने और उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करने की अपील की।
स्थिति की गंभीरता
प्रदूषण पर काम कर रही एजेंसियां और विशेषज्ञ इस स्थिति को बेहद गंभीर मानते हैं। राजधानी में जहरीली हवा का असर लाखों लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। सरकार को जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में ऐसे प्रदूषण संकट से बचा जा सके। वायु प्रदूषण अब केवल दिल्ली या एनसीआर का मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह एक राष्ट्रीय समस्या बन चुका है।