बुर्का चेकिंग पर विवाद: सपा ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर जताई आपत्ति

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उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 9 सीटों पर हो रहे उपचुनाव को लेकर सियासी माहौल गर्म हो गया है। सोमवार को चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद, समाजवादी पार्टी (सपा) ने निर्वाचन आयोग को एक पत्र लिखते हुए कई अहम मांगें उठाई हैं। सपा ने आग्रह किया कि मतदान के दौरान मतदाताओं को पुलिसकर्मियों द्वारा डराने-धमकाने जैसी गतिविधियों पर रोक लगाई जाए।

सपा ने निर्वाचन आयोग से कहा है कि मतदान केंद्रों पर केवल पोलिंग अधिकारी ही मतदाताओं की पहचान जांचें। पार्टी ने यह भी मांग की है कि मतदान के दौरान पुलिसकर्मी या अन्य कोई व्यक्ति मतदाताओं की पहचान पत्र की जांच न करे। पार्टी ने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव 2019 में कई पोलिंग बूथों पर मुस्लिम महिलाओं को बुर्का उठाने और पहचान पत्र दिखाने के नाम पर परेशान किया गया, जिससे उनका मताधिकार प्रभावित हुआ।

 

सपा ने दावा किया कि ऐसे घटनाक्रमों के कारण मुस्लिम महिलाएं मतदान केंद्रों से बिना वोट डाले वापस लौट गईं, जिससे मतदान प्रतिशत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। पार्टी ने निर्वाचन आयोग से इस बार ऐसी घटनाएं रोकने के लिए विशेष कदम उठाने का अनुरोध किया है।

सपा प्रवक्ता उदयवीर सिंह ने प्रशासन और पुलिस पर दबाव डालने का आरोप लगाते हुए कहा कि सपा कार्यकर्ताओं को मतदाताओं को मतदान केंद्र तक ले जाने के लिए जागरूक रहना चाहिए। उन्होंने प्रशासनिक दबाव का सामना करते हुए लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करने का आह्वान किया।

भाजपा ने सपा के आरोपों को खारिज करते हुए इसे चुनावी हार से पहले की रणनीति करार दिया। बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि हर मतदाता की पहचान सुनिश्चित करना निर्वाचन प्रक्रिया का अहम हिस्सा है और इसे सुनिश्चित करने के लिए सख्ती आवश्यक है। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा पोलिंग पार्टियों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है और बुर्का पहनकर मतदान को गलत ठहराया।

सपा और भाजपा के बीच इस मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप के बीच, निर्वाचन आयोग पर निष्पक्ष चुनाव कराने की बड़ी जिम्मेदारी है। मतदान प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा और पारदर्शिता बनाए रखने के साथ, यह भी सुनिश्चित करना होगा कि मतदाता किसी भी प्रकार के डर या दबाव में न आएं। 20 नवंबर को होने वाले इस उपचुनाव के नतीजे विभिन्न दलों के लिए राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।

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