छह सीटों पर NDA का आत्मविश्वास बुलंद, करहल में रिश्तों पर भारी सियासत

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उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को होने वाले उपचुनावों के लिए प्रचार अभियान 18 नवंबर को समाप्त हो गया। इन सीटों पर मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले एनडीए और समाजवादी पार्टी (सपा) व कांग्रेस के इंडिया गठबंधन के बीच है। इस बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर चुनावी समीकरणों को प्रभावित करने की कोशिश की है। सजद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद ने भी अपनी पार्टी के प्रत्याशी उतारकर चुनावी मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
इन 9 सीटों में मीरापुर, कुंदरकी, गाजियाबाद सदर, खैर, कटेहरी, फूलपुर, करहल, मझवां और सीसामऊ शामिल हैं। इनमें से गाजियाबाद, खैर, मझवां, फूलपुर और मीरापुर जैसी सीटों पर बीजेपी का दबदबा दिख रहा है, जबकि सपा करहल और कुंदरकी सीटों पर मजबूत नजर आ रही है। सीसामऊ और कुंदरकी जैसी सीटों पर कांटे की टक्कर की संभावना है।
सपा के तेज प्रताप यादव का मुकाबला बीजेपी के अनुजेश यादव से है। सपा को यादव बहुल क्षेत्र में बढ़त मिलती दिख रही है।
मुस्लिम बहुल इस सीट पर सपा की नसीम सोलंकी और बीजेपी के सुरेश अवस्थी के बीच मुकाबला है। दलित वोटर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
मुस्लिम बहुल इस सीट पर 12 में से 11 प्रत्याशी मुस्लिम हैं। बीजेपी के रामवीर सिंह और सपा के हाजी रिजवान के बीच सीधी टक्कर है। मुस्लिम वोटों के बंटवारे से बीजेपी को फायदा मिलने की उम्मीद है।
2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने गाजियाबाद, खैर, मझवां, फूलपुर और मीरापुर सीट जीती थीं, जबकि सपा ने करहल, कुंदरकी और सीसामऊ सीट पर कब्जा जमाया था। इन उपचुनावों में बीजेपी और सपा दोनों ही ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चुनाव प्रचार में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
इन उपचुनावों को सपा के लिए एक “लिटमस टेस्ट” माना जा रहा है। वहीं, बीजेपी इसे अपनी लोकप्रियता की परीक्षा के तौर पर देख रही है। जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों के आधार पर बीजेपी को पांच-छह सीटों पर बढ़त मिलने का अनुमान है। वहीं, सपा की उम्मीद यादव और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों पर टिकी है।

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