प्रयागराज में छात्र आंदोलन पर बृजभूषण सिंह का बयान, पुलिस लाठीचार्ज पर किया विरोध

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा पीसीएस (प्रांतीय सिविल सेवा) और आरओ-एआरओ (रिव्यू ऑफिसर-असिस्टेंट रिव्यू ऑफिसर) प्रारंभिक परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन प्रणाली को लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र बीते कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों की प्रमुख मांग यह है कि परीक्षाएं ‘वन डे-वन शिफ्ट’ यानी एक ही दिन और एक ही शिफ्ट में आयोजित की जाएं, ताकि नॉर्मलाइजेशन प्रणाली का उपयोग न करना पड़े, जो उनके अनुसार छात्रों के अंकों में असमानता का कारण बनती है। छात्रों ने मांग की है कि पीसीएस प्री परीक्षा प्रदेश के सभी 75 जिलों में कराई जाए, ताकि परीक्षा एक ही दिन में आयोजित की जा सके।
छात्रों के विरोध प्रदर्शन का आज (13 नवंबर) तीसरा दिन है, जिसमें प्रयागराज स्थित आयोग कार्यालय के बाहर हजारों की संख्या में छात्र अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इन छात्रों का कहना है कि 41 जिलों में परीक्षा कराने के बजाए सभी 75 जिलों में परीक्षा आयोजित करने से परीक्षा का आयोजन एक ही शिफ्ट में किया जा सकेगा, जिससे नॉर्मलाइजेशन की आवश्यकता नहीं रहेगी। प्रतियोगी परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन प्रणाली का विरोध लंबे समय से होता आ रहा है, क्योंकि यह प्रणाली विभिन्न शिफ्टों में दिए गए पेपरों में कठिनाई स्तर की असमानता को संतुलित करने का प्रयास करती है, जिससे कई बार छात्रों के वास्तविक अंक प्रभावित होते हैं।
छात्रों की इस मांग पर विभिन्न सियासी नेताओं और संगठनों ने भी समर्थन जताया है। इसी क्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह का बयान भी सामने आया है। उन्होंने छात्रों के प्रदर्शन को गंभीरता से लेने की बात कही है। बृजभूषण सिंह ने सरकार से आग्रह किया है कि छात्रों की मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करना चाहिए। साथ ही, उन्होंने प्रयागराज में प्रदर्शन के दौरान छात्रों पर हुए लाठीचार्ज की आलोचना करते हुए इसे गलत बताया और इसे पुलिस की गलती करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार को छात्रों की मांगों को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि ये प्रदर्शनकारी हमारे ही बच्चे हैं और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए।
छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि जब तक उन्हें आयोग से लिखित आश्वासन नहीं मिल जाता, तब तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा। छात्रों के अनुसार, नॉर्मलाइजेशन प्रणाली के कारण कई बार एक ही परीक्षा में अलग-अलग शिफ्टों में प्रश्न पत्रों की कठिनाई के आधार पर अंक असमान हो जाते हैं, जो उनके भविष्य के लिए बाधा बन सकता है।
प्रयागराज में इस विरोध प्रदर्शन का विस्तार होने के साथ ही आयोग और सरकार पर इसका दबाव भी बढ़ता जा रहा है। छात्र इस उम्मीद में हैं कि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार कर परीक्षा प्रणाली में सुधार किए जाएंगे ताकि प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता बनी रहे और छात्रों के हितों की रक्षा हो सके।