राम मंदिर आंदोलन से लेकर चर्चित ‘धुंआ-धुंआ’ नारे तक, यूपी में किस नारे ने बदली राजनीति?

उत्तर प्रदेश के विधानसभा उपचुनाव में इन दिनों नारों और पोस्टरों का खासा जोर है, और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नारा “बंटोगे तो कटोगे” सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। इस नारे को लेकर विपक्ष ने भी कई प्रतिक्रियात्मक नारों का सहारा लिया है, परंतु मुख्यमंत्री के इस नारे की लोकप्रियता अन्य नारों के बीच प्रमुख बनी हुई है। यह पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश की सियासत में नारों ने माहौल बदला हो। अतीत में ऐसे कई सियासी नारे हैं जिन्होंने चुनावी समीकरणों को बदलने में बड़ी भूमिका निभाई है और विभिन्न दलों को सत्ता तक पहुंचाने का काम किया है।
1991 में अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के दौरान बीजेपी ने “रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे” नारे के जरिए हिंदुत्व के मुद्दे को केंद्र में रखा। यह नारा इतना प्रभावशाली था कि कल्याण सिंह के नेतृत्व में बीजेपी सरकार सत्ता में आई। इसके विपरीत, 1993 में सपा और बसपा के गठबंधन ने एक नारा “मिले मुलायम कांशीराम, हवा में उड़ गए जय श्रीराम” दिया, जिसने राम मंदिर आंदोलन की लहर के बावजूद बीजेपी की बढ़ती लोकप्रियता को थाम दिया और उत्तर प्रदेश में गठबंधन को सत्ता तक पहुंचा दिया।
1987 में, वीपी सिंह ने बोफोर्स घोटाले के खिलाफ आवाज उठाई और उनके लिए नारा गढ़ा गया “राजा नहीं, फकीर है, देश की तकदीर है।” इस नारे ने उन्हें प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू करने के फैसले से उनकी लोकप्रियता को धक्का लगा, और फिर एक नारा “राजा नहीं रंक है, देश का कलंक है” के जरिए उनकी छवि को नुकसान पहुंचा।
1996-1997 में, जब बीजेपी केंद्र की सत्ता पर काबिज होने का प्रयास कर रही थी, उस समय “सबको देखा बारी-बारी, अबकी बारी अटल बिहारी” का नारा दिया गया, जिसने अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद, 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का चेहरा बनाकर बीजेपी ने “अबकी बार मोदी सरकार,” “अच्छे दिन आने वाले हैं,” और “हर-हर मोदी, घर-घर मोदी” जैसे लोकप्रिय नारे दिए, जो बीजेपी की प्रचंड जीत का कारण बने।
2019 के लोकसभा चुनाव में “मोदी है तो मुमकिन है” का नारा एक बार फिर बीजेपी के पक्ष में रहा और नरेंद्र मोदी को पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापस लाने में निर्णायक साबित हुआ। इन सभी नारों से साफ है कि उत्तर प्रदेश और देश की राजनीति में नारों का खासा प्रभाव रहा है, जो जनता के मूड को बदलने में सक्षम रहे हैं।