योगी आदित्यनाथ का दांव, यूपी के बाहर चुनावों में बढ़ेगा उनका राष्ट्रीय राजनीति में असर

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन दिनों न केवल यूपी में बल्कि महाराष्ट्र और झारखंड में भी अपनी चुनावी रैलियों के जरिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पक्ष में माहौल बना रहे हैं। उनका हिंदुत्ववादी छवि, यूपी में उनके द्वारा किए गए कार्यों और उनकी कड़ी नीतियों की वजह से वह अब राष्ट्रीय राजनीति में एक प्रमुख खिलाड़ी बन चुके हैं, जिसके कारण विपक्ष की चिंताएं बढ़ गई हैं। विपक्ष अब योगी आदित्यनाथ को अपनी राजनीति की चुनौती मानने लगा है, और उनके खिलाफ मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट करने के लिए आलोचनाओं का सिलसिला तेज कर दिया है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य विपक्षी नेता लगातार योगी आदित्यनाथ पर हमले कर रहे हैं। इन हमलों में सिर्फ योगी के कार्यों की आलोचना नहीं हो रही, बल्कि उनकी वेशभूषा, उनके नेतृत्व और यहां तक कि उन्हें आतंकवादी तक बताया गया है। यह दिखाता है कि विपक्ष को लगता है कि योगी की बढ़ती लोकप्रियता और उनकी छवि भाजपा के लिए एक बड़ा फायदे का कारण बन सकती है। जब भी योगी आदित्यनाथ महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों में रैलियां करते हैं, विपक्ष उनपर निशाना साधने से नहीं चूकता।
योगी आदित्यनाथ की राजनीति का मुख्य आकर्षण उनका हिंदुत्व एजेंडा और यूपी में उनके नेतृत्व में किए गए कार्य हैं। उनकी सरकार में यूपी ने माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की, जहां बुलडोजर मॉडल को अपना कर उन्होंने अपराधियों और भू-माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए। इस नारे ने राजनीतिक मंचों पर हलचल मचाई और विपक्षी पार्टी की सरकारों को भी कुछ हद तक इस मॉडल को अपनाने पर मजबूर किया। ‘बंटोगे तो कटोगे’ के नारे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आगे बढ़ाया और इसे बीजेपी के राष्ट्रीय अभियान का हिस्सा बना दिया।
योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। उनके शासन में 1245 सरकारी अधिकारियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाया गया और 3453 को निलंबित किया गया। इससे यह साबित होता है कि उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की। योगी की सरकार में यूपी ने दंगों पर पूरी तरह से नियंत्रण पाया, जो कि इस राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। योगी आदित्यनाथ के कार्यों को जनता ने सराहा है, और उनके चेहरे पर दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद यह साबित हो गया कि उनका काम और नाम उनके लिए किसी विकल्प के बिना है।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दलितों और पिछड़ों के अधिकारों के लिए भी कई कदम उठाए हैं। उन्होंने भूमि माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की, और उनकी ज़मीनों पर बुलडोजर चला कर गरीबों के लिए आवास बनाए। उनका संदेश साफ था कि उनकी सरकार कमजोरों और दलितों के लिए काम कर रही है। अलीगढ़ में उन्होंने वंचितों और पिछड़ों के लिए आरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया, जो समाजवादी पार्टी (सपा) के पीडीए फॉर्मूले को चुनौती देने जैसा था। योगी का यह कदम यह दिखाने के लिए था कि समाजवादी पार्टी मुस्लिमों के पक्ष में खड़ी है, जबकि उनकी सरकार दलितों और पिछड़ों के लिए काम कर रही है।
इस प्रकार, योगी आदित्यनाथ का नेतृत्व और उनके द्वारा उठाए गए कदम विपक्ष के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुके हैं। उनकी हिंदुत्ववादी छवि और यूपी में उनके सुशासन मॉडल ने बीजेपी को एक मजबूत राजनीतिक आधार दिया है, जबकि विपक्ष मुस्लिम वोट बैंक को अपनी तरफ लाने की कोशिश कर रहा है।