शिक्षा नीति पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, मदरसों की प्रशासनिक व्यवस्था को स्वतंत्रता

download (52)

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट 2004 को वैध ठहराते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस निर्णय को खारिज कर दिया, जिसमें इस एक्ट को असंवैधानिक करार दिया गया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट का फैसला सही नहीं था और राज्य सरकार को मदरसों को रेगुलेट करने का अधिकार है, ताकि छात्रों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा मिल सके।

 

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि रेगुलेशन का अर्थ मदरसों के प्रशासन में सीधे हस्तक्षेप करना नहीं है। सरकार केवल शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से नियम बना सकती है, लेकिन प्रशासनिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। इससे यह सुनिश्चित किया गया कि मदरसों की स्वायत्तता बरकरार रहेगी, और वे अपनी परंपराओं और धार्मिक शिक्षा को बरकरार रखते हुए आधुनिक शिक्षा भी दे सकते हैं।

 

हालांकि, कोर्ट ने एक्ट के एक हिस्से को खारिज करते हुए फाजिल और कामिल डिग्रियों को मान्यता देने के अधिकार को खत्म कर दिया है। फाजिल और कामिल की डिग्री, जो परंपरागत रूप से धार्मिक अध्ययन में दी जाती थीं, अब इस कानून के तहत मान्यता प्राप्त नहीं होंगी। इसका अर्थ है कि उत्तर प्रदेश में मदरसे अब इन डिग्रियों को जारी नहीं कर सकेंगे, और इसके स्थान पर उन्हें छात्रों को अन्य मान्यता प्राप्त डिग्रियों या पाठ्यक्रमों में मार्गदर्शन करना होगा।

 

इस फैसले से यह साफ हुआ कि मदरसों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने में सरकार सहयोग कर सकती है, लेकिन उनका प्रशासनिक नियंत्रण मदरसा संचालकों के हाथों में ही रहेगा। यह निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता के बीच संतुलन बनाते हुए आया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हो सकता है आप चूक गए हों