Dala Chhath 2024: कल नहाय-खाय से शुरू होगा छठ महापर्व, शहर और गांवों में उत्साह का माहौल

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छठ पर्व की धूम: तैयारियों में जुटी व्रती महिलाएं

बुधवार को खरना के अवसर पर व्रति महिलाएं सिंदूर और घी मिलाकर सूर्य चक्र का निर्माण करेंगी, जिसे मिट्टी के दीये पर प्रसाद के रूप में रखा जाएगा। कलश पर धूप, दीप और मिठाइयाँ रखकर सिंदूर का अर्पण किया जाएगा। बृहस्पतिवार को महिलाएं कमर तक पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी, और अगले दिन शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं पारण करेंगी। चार दिवसीय सूर्यषष्ठी और डाला छठ व्रत की शुरुआत 5 नवंबर से होगी। इस मौके पर घरों में उत्साह की लहर है।

 

पहला दिन “नहाय-खाय” के नाम से मनाया जाएगा। इस दिन व्रती महिलाएं चने की दाल, कट्टू, अरवा चावल, गेहूं की रोटी, और बिना नमक का सादा भोजन करेंगी, जिसे मिट्टी के चूल्हे पर पकाया जाएगा।

छठ की शुरुआत के साथ ही डाला सजाने की तैयारियां भी जोरों पर हैं। गवर्नमेंट प्रेस सब्जी मार्केट से लेकर अलोपीबाग, बैरहना, मीरापुर, कटरा, मुट्ठीगंज, गऊघाट, प्रीतमनगर, बक्शी बांध समेत कई स्थानों पर पूजा सामग्री की दुकानें सज गई हैं। कर्नलगंज की बिमला यादव ने बताया कि सूप यानी डाला की खरीद के साथ-साथ पत्ते वाली हल्दी, कट्टू, गन्ना, मूली, गाजर, शरीफा, मुसम्मी, नींबू, नारियल, अदरक आदि आवश्यक सामग्री खरीदी गई है।

 

आचार्य डॉ. अमिताभ गौड़ के अनुसार, सूर्यषष्ठी व्रत रखने से पुत्र की दीर्घायु, तेजस्वी, सरल स्वभाव, और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

सूर्यदेव आशीष देंगे: संगम नोज पर छठ पर्व की तैयारियाँ धूमधाम से चल रही हैं। श्रद्धालुओं के लिए टेंट लगाया जा रहा है। पूर्वांचल छठ पूजा समिति के संयोजक अजय राय ने कहा कि इस पर्व के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।

 

इस तरह, छठ पर्व की भव्यता और परंपरा एक बार फिर जीवित हो उठी है, और लोग इस अवसर का इंतजार कर रहे हैं।

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