अल्मोड़ा के ल्वेटा गांव में जोशीमठ जैसी दरारें, कई मकान गिरे, ग्रामीणों में दहशत

Cracks in the walls of houses in Pali | जर्जर मकान में पानी भरने से घरों में  आई दरारें: लोग बोले-करंट भी आ रहा है, प्रशासन से समस्या के समाधान की मांग,

 

 

अल्मोड़ा जिले के ल्वेटा गांव में जोशीमठ (गढ़वाल) की तरह भू-धंसाव और दरारों का संकट गहरा गया है। बीते एक महीने में चार मकान गिर चुके हैं, जबकि करीब 35 मकान जर्जर स्थिति में हैं। भयावह हालात को देखते हुए कई ग्रामीणों ने टेंट में शरण ली है, जबकि कुछ लोग रिश्तेदारों के यहां रहने चले गए हैं। 15 परिवार अभी भी जान जोखिम में डालकर दरारों वाले मकानों में रहने को मजबूर हैं।

 

ग्रामीणों ने डीएम से लगाई मदद की गुहार

 

भैंसियाछाना ब्लॉक स्थित ल्वेटा गांव के ग्रामीणों ने बृहस्पतिवार को डीएम आलोक कुमार पांडेय से मुलाकात कर स्थिति से अवगत कराया। ग्रामीणों ने बताया कि 2010 में भी इस गांव में भूस्खलन हुआ था, तब कई मकान गिर गए थे और प्रशासन ने सिर्फ तीन परिवारों को 1.20 लाख रुपये मुआवजा दिया था। अब फिर से 35 मकानों में गहरी दरारें आ गई हैं, जिससे 350 ग्रामीणों के सिर से छत छिनने का खतरा मंडरा रहा है।

 

इसके अलावा, गांव की पानी की लाइन भी उखड़ गई है, जिससे ग्रामीणों को पेयजल संकट का भी सामना करना पड़ रहा है।

 

ग्रामीण बोले – सुरक्षित भूमि तो है, लेकिन मकान बनाने के लिए पैसे नहीं

 

भाजपा अनुसूचित मोर्चा के मंडल अध्यक्ष संतोष कुमार के नेतृत्व में ग्रामीणों ने डीएम से पुनर्वास की मांग की। उन्होंने बताया कि 2010 में आपदा प्रबंधन की टीम ने गांव का सर्वे किया था और इसे भूस्खलन की जद में बताया था। ग्रामीणों ने कहा कि उनके पास सुरक्षित भूमि तो है, लेकिन नए मकान बनाने के लिए आर्थिक सहायता की जरूरत है।

 

प्रशासन से मांग – जल्द हो पुनर्वास और मुआवजा

 

गांव के लोगों ने प्रशासन से भूस्खलन प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते पुनर्वास और मुआवजा नहीं मिला, तो गांव पूरी तरह से उजड़ सकता है।

 

 

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