सीहोर बना गिद्धों का आश्रय स्थल, एक साल में संख्या 227 से बढ़कर 519

प्रदेश के अनेक शहरों में गिद्धों की जनसंख्या कम हो गई है, लेकिन गिद्धों को सीहोर रास आ रहा है। यहां पिछले साल की अपेक्षा गिद्धों की जनसंख्या दो गुनी से अधिक हो गई है। पिछले साल जिले में 227 गिद्ध मिले थे, जो इस साल बढ़कर 519 पर पहुंच गई है।
जिले में पिछले तीन दिन से चल रही गिद्धों की गणना पूरी हो गई है। जिले में गिद्धों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। वन विभाग की नई गणना में 519 गिद्ध पाए गए हैं। यह संख्या पिछले साल की तुलना में दोगुनी है। पिछले साल केवल 227 गिद्ध थे। वन विभाग ने तीन दिनों तक चली गणना में पाया कि कुल गिद्धों में से 422 वयस्क और 97 अवयस्क हैं।
125 जंगल बीटों में 8 बीट में सबसे अधिक गिद्ध मिले
वन विभाग के अनुसार जिले की 125 जंगल बीटों में गणना कराई थी। इनमेंं से 8 बीट में गिद्ध मिले। बुधनी, सीहोर, रेहटी और वीरपुर वन रेंज में सबसे अधिक गिद्ध पाए गए। गणना सुबह 7 से 9 बजे के बीच की जाती है, जब गिद्ध धूप सेंकने मैदानों में आते हैं। वनकर्मी इनकी वीडियोग्राफी करते हैं और बाद में गणना करते हैं। गिद्दों के आंकलन की गणना वर्ष में दो बार की जाती है। शीतकालीन गिद्ध गणना 17, 18 एवं 19 फरवरी को की गई। इसी तरह ग्रीष्मकालीन गिद्ध गणना 29 अप्रैल 2025 को की जायेगी।
सबसे अधिक सफेद गिद्ध
वन मंडल सीहोर के डीएफओ एमएस डाबर के अनुसार इस क्षेत्र में सफेद प्रजाति के गिद्ध पाए जाते हैं। सफेद गिद्ध बड़े वन्य जीव का मांस तो खाता है। लेकिन, वह नहीं मिलने पर यह जमीन पर कीड़ों को भी खाकर सर्वाइव कर जाता है। इसी कारण ये गिद्ध अभी बचे हैं। शेष प्रजातियां कम होती जा रही है।
प्रकृति के सफाई कर्मी हैं गिद्ध
गिद्ध केवल मरे हुए जानवरों को खाकर ही अपना भोजन प्राप्त करते हैं। इस वजह से इन्हें प्रकृति के सफाई कर्मी के रूप में भी जाना जाता है। मवेशियों के उपचार के लिए प्रतिबंधित दवाई डिलोफेनक के उपयोग और आवास स्थलों की कमी से गिद्ध की संख्या में अचानक से कमी आई थी। गिद्धों के संरक्षण के लिए उनके नेस्टिंग साइट को पहचान कर उनका संरक्षण बहुत जरूरी है, ताकि इनकी संख्या बढ़ सके। गिद्धों के बचाव के लिए प्रकृति में गिद्धों के महत्व और उनकी कम होती संख्या से होने वाले विपरीत रिजल्ट से लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। जिले में 8 ऐसे स्थान चिह्नित किए गए हैं, जहां गिद्ध पहाड़ियों और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं।