सरकार की लारवाही से थोड़ी सी बारिश में तालाब बन जा रहीं दिल्ली की सड़कें

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नई दिल्ली: दिल्ली में इस बार मॉनसून की बारिश लोगों के लिए राहत से ज्यादा आफत लेकर आई। जगग-जगह जलभराव, सड़कें, नालियों में पानी के ओवरफ्लो ने काफी फजीहत कराई। इस बारिश और उससे उपजे जलभराव ने कई जानें भी लीं। दिल्ली के करोल बाग एक राव कोचिंग सेंटर की लाइब्रेरी में पानी भरने से तीन छात्रों की मौत हो गई। वहीं, गाजीपुर में पानी से भरे नाले को समझने की भूल ने एक मां-बेटे को जिंदा निगल लिया। शहर के लगभग हर हिस्से में हाल ही में नए जलभराव वाले क्षेत्र उभरे हैं, पश्चिम दिल्ली के जखीरा से लेकर धौला कुआं के पास सत्या निकेतन तक, एसपीए-कोटला सड़क एक्सिस से लेकर पॉश गोल्फ लिंक्स रोड और लुटियन बंगलों तक,बारिश के मौसम में ये सब लगभग घुटने तक पानी में डूबे हुए पाए गए। क्या कारण है कि नाली-नालों की सफाई और बेहतर दिल्ली देने का वादा करने के बाद थोड़ी सी बारिश में ही सड़कें लबालब क्यों होती जा रही हैं? आइए आपको इसके पीछे का कारण समझाते हैं।

क्या है सड़कें जलमग्न होने का कारण?
बड़ा सवाल यह है कि क्या यह अकेले भारी वर्षा के कारण है, या राजधानी में एक मानव निर्मित आपदा है, जो आम आदमी पार्टी सरकार के केंद्र के साथ एक दशक से चल रही राजनीतिक लड़ाई से बढ़ गई है?जबकि कई विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि दिल्ली की जल निकासी योजना का हल तेजी से बढ़ते शहर के लिए अंतिम समाधान है, लेकिन यहां तक कि ड्रेन की सफाई जैसे बुनियादी कार्यों को करने में विफलता भी शहर को बहुत महंगी पड़ रही है। एक हालिया सरकारी आकलन ने 5 अगस्त के नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले में गाद और मलबे की पहचान की है, जिसमें कई अधिकारियों को दिल्ली के नालों की सफाई और सफाई करने में विफल रहने के लिए दोषी ठहराया गया था। यह जो 10 से अधिक वर्षों से जमा था और जगह-जगह पानी भर जाने का मुख्य कारण भी है।

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