हिमाचल के बद्दी में संकट में सांसें, 300-400 के बीच पहुंचा एक्यूआई, लोग हो रहे बीमार

हिमाचल प्रदेश के बद्दी, जिसे एशिया का सबसे बड़ा फार्मा हब माना जाता है, की हवा की गुणवत्ता पहली बार “वेरी पूअर जोन” में पहुंच गई है। जनवरी महीने में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) ज्यादातर दिनों 300 से 400 के बीच रहा, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। पूरे महीने में केवल 13 जनवरी को हवा की गुणवत्ता “संतोषजनक” रही, बाकी दिन “वेरी पूअर” और “पूअर” श्रेणी में दर्ज की गई। इस प्रदूषण का असर स्थानीय निवासियों की सेहत पर साफ देखा जा सकता है। लोग गले की खराबी, खांसी, और बुखार जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।
बद्दी में प्रदूषण बढ़ने के कई कारण हैं। क्षेत्र में भारी संख्या में फार्मा और अन्य उद्योग स्थापित हैं, जिनसे निकलने वाले उत्सर्जन ने हवा को जहरीला बना दिया है। इसके अलावा, सुबह-शाम का ट्रैफिक और धुंध इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं। हालांकि अधिकांश उद्योगों में एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) लगाए गए हैं, लेकिन उनका उपयोग केवल निरीक्षण के दौरान ही सक्रिय रूप से किया जाता है। यह जानकारी पर्यावरण संरक्षण संस्था हिम परिवेश के अध्यक्ष लक्ष्मी चंद ठाकुर ने दी।
बद्दी के साथ-साथ कालाअंब और पांवटा साहिब की हवा की गुणवत्ता भी खराब हुई है। पांवटा साहिब में जनवरी के 6 दिन हवा “मॉडरेट” जोन में रही, जबकि कालाअंब में 8 दिन ऐसा दर्ज किया गया। इसके विपरीत, नालागढ़ और बरोटीवाला में स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर रही। नालागढ़ में पूरे महीने हवा “संतोषजनक” जोन में रही, जबकि बरोटीवाला में 6 दिन “मॉडरेट” और 5 दिन “संतोषजनक” दर्ज की गई। सबसे बेहतर स्थिति मनाली और ऊना में देखने को मिली, जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 50 से नीचे रहा।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरिष्ठ अभियंता प्रवीण गुप्ता का कहना है कि बद्दी की खराब हवा का कारण उद्योगों से होने वाला प्रदूषण, ट्रैफिक और धुंध है। बोर्ड द्वारा नियमित रूप से उद्योगों का निरीक्षण किया जा रहा है और जो उद्योग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। पर्यावरण संरक्षण के उपायों को सख्ती से लागू करना आवश्यक है।
इस समस्या का समाधान निकालने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है। उद्योगों में ईटीपी प्लांट का सही और नियमित उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए। ट्रैफिक प्रबंधन और प्रदूषण नियंत्रण के लिए बेहतर योजनाएं अपनाई जानी चाहिए। साथ ही, स्थानीय निवासियों में पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाए जाने चाहिए। इन उपायों से बद्दी और आसपास के क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिल सकती है।