काशी में भी मिलेगा प्रयाग तीर्थ का अनुभव, श्रद्धालुओं के लिए खास अवसर

शिव की नगरी काशी, जिसे सर्वदेव और सर्वतीर्थों की नगरी कहा जाता है, अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। महाकुंभ 2025 के अवसर पर काशी के गंगा तट पर स्थित प्रयाग तीर्थ श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगा। माघ मास में यहां स्नान करने का महत्व स्वयं प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में स्नान करने से भी अधिक बताया गया है।
काशी महात्म्य के अनुसार, दशाश्वमेध घाट से उत्तर दिशा में स्थित प्रयाग तीर्थ में स्नान से दस अश्वमेध यज्ञों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि सूर्यग्रहण के दौरान कुरुक्षेत्र में दान करने से जो फल मिलता है, वह काशी के प्रयाग तीर्थ पर स्नान करने से दस गुना अधिक प्राप्त होता है।
प्रयाग तीर्थ का आध्यात्मिक महत्व
प्रयाग तीर्थ पर स्नान के बाद तीर्थ पुरोहित श्रद्धालुओं का संकल्प कराते हैं, जो प्रयागराज के समान पवित्र माना जाता है। यहां स्थित प्रयागेश्वर महालिंग, भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए प्रसिद्ध हैं। माघ मास में अरुणोदय के समय प्रयाग तीर्थ में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
विशालाक्षी मंदिर के महंत राजनाथ तिवारी के अनुसार, माघ मास में प्रयाग तीर्थ पर स्नान करने वाले भक्तों को दस अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है। इसके बाद भक्तिभाव से प्रयागमाधव और प्रयागेश्वर का पूजन करना अनिवार्य माना गया है।
अन्य तीर्थों का समागम और विशेष मान्यताएं
काशी खंड के अनुसार, माघ मास में अन्य सभी तीर्थ जैसे पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और ऊपर-नीचे के समस्त तीर्थ प्रयागराज चले जाते हैं। लेकिन काशी के तीर्थ स्थिर रहते हैं। माघ मास में ये सभी तीर्थ काशी के प्रयागेश्वर के पास स्नान करते हैं और मध्याह्न बेला में मणिकर्णिका घाट पर स्नान के लिए जाते हैं।
दशाश्वमेध घाट से उत्तर दिशा में प्रयाग तीर्थ पर स्नान करने के बाद प्रयागमाधव के दर्शन से श्रद्धालु अपने समस्त पापों से मुक्त हो जाते हैं। यह स्थान विशेष रूप से श्रद्धालुओं के लिए महाकुंभ के दौरान दान-पुण्य और आध्यात्मिक साधना का केंद्र बनता है।
महाकुंभ के दौरान प्रयाग तीर्थ की भूमिका
महाकुंभ 2025 के दौरान, काशी के प्रयाग तीर्थ पर लाखों श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाने आएंगे। यहां के तीर्थ पुरोहित, यजमानों का संकल्प कराते हुए महाकुंभ की दिव्यता और भव्यता को और बढ़ाएंगे। शिव की नगरी में यह तीर्थ धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को और अधिक प्रखर करेगा।
महाकुंभ में काशी की यह आध्यात्मिक धरोहर, श्रद्धालुओं को पुण्य, मोक्ष और अध्यात्म की अनुभूति प्रदान करेगी।