सागर लोकायुक्त का एक और बड़ा वार, पंचायत अधिकारी को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा, 20,000 रुपये बरामद

मध्यप्रदेश के सागर जिले में लोकायुक्त की एक बड़ी कार्रवाई सामने आई है, जहां जनपद पंचायत अधिकारी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया। यह कार्रवाई पुलिस महानिदेशक लोकायुक्त श्री जयदीप प्रसाद के भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े निर्देशों के बाद की गई है। 24 दिसंबर 2024 को लोकायुक्त की टीम ने जनपद पंचायत पटेरा के सीईओ भूर सिंह रावत को रिश्वत की राशि लेते हुए गिरफ्तार किया।
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब रामकुमार मिश्रा, जो कि ग्राम पंचायत कुटरी के सरपंच हैं, ने लोकायुक्त से शिकायत की कि भूर सिंह रावत ने उनसे अपने ग्राम पंचायत के कार्यों के भुगतान और नए कार्यों की स्वीकृति के बदले 10% रिश्वत की मांग की। सरपंच मिश्रा के अनुसार, भूर सिंह रावत ने कुल 20,000 रुपये की रिश्वत मांगी, जिसे उसने 24 दिसंबर को पूरी तरह से स्वीकार किया। शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त ने तेज कार्रवाई की और उप पुलिस अधीक्षक मंजू सिंह के नेतृत्व में एक टीम गठित की।
लोकायुक्त की टीम ने ट्रैप कार्रवाई की योजना बनाई और सागर लोकायुक्त की टीम ने पटेरा जनपद पंचायत कार्यालय में घेराबंदी की। जैसे ही आरोपी भूर सिंह रावत ने रिश्वत की राशि 20,000 रुपये ली, उसे रंगे हाथ पकड़ा गया। यह राशि उसने सरपंच मिश्रा के काम के भुगतान और नए कार्यों के स्वीकृति के बदले ली थी।
इस कार्रवाई में उप पुलिस अधीक्षक बी. एम. द्विवेदी, उप पुलिस अधीक्षक मंजू सिंह और अन्य लोकायुक्त स्टाफ के सदस्य शामिल थे। इनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के कारण यह कार्रवाई संभव हो पाई।
यह घटना यह दर्शाती है कि लोकायुक्त और प्रशासन भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं और किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लोकायुक्त का यह कदम यह संकेत देता है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ निरंतर अभियान चलाया जा रहा है, और सरकारी अधिकारियों को यह संदेश जाता है कि अगर वे अपनी जिम्मेदारी का गलत इस्तेमाल करेंगे, तो उन्हें सख्त दंड भुगतना पड़ेगा।
इस कार्रवाई से समाज में एक सकारात्मक संदेश गया है कि रिश्वत देकर कोई भी काम नहीं किया जा सकता। लोकायुक्त की यह कार्रवाई समाज में ईमानदारी और कानूनी प्रक्रिया के प्रति विश्वास को और मजबूत करती है।