बिहार में जदयू की संकट की घड़ी, इस दिग्गज नेता ने पार्टी छोड़ने का किया ऐलान

बिहार के राजनीति में बड़ा घटनाक्रम हुआ जब जनता दल (यूनाइटेड) [जदयू] के पूर्व विधान पार्षद रामेश्वर महतो ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। रामेश्वर महतो का इस्तीफा एक अहम मुद्दे पर आधारित था। उन्होंने सीतामढ़ी के जदयू नेता देवेश चंद्र ठाकुर पर गंभीर आरोप लगाए, जिसमें उन्होंने कहा कि देवेश चंद्र ठाकुर ने उनका अपमान किया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गुमराह किया। महतो ने साफ शब्दों में कहा कि नीतीश कुमार हमेशा उनकी बातों को सराहते थे, लेकिन अब जो लोग मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे हैं, उन्हें समाज कभी माफ नहीं करेगा।
रामेश्वर महतो का इस्तीफा जदयू के भीतर एक अंदरूनी संघर्ष को उजागर करता है। महतो ने कहा कि वह हमेशा नीतीश कुमार के प्रति आभारी रहेंगे, लेकिन जदयू के कुछ नेताओं के चलते पार्टी के भीतर तनाव उत्पन्न हो गया है। महतो का आरोप था कि देवेश चंद्र ठाकुर जैसे नेता मुख्यमंत्री को गलत जानकारी दे रहे हैं, जिसके कारण पार्टी में दरारें आ रही हैं।
रामेश्वर महतो की राजनीतिक यात्रा काफी लंबी और महत्वपूर्ण रही है। वह बिहार के सीतामढ़ी जिले के भासर गांव में जन्मे थे और जनता दल (यूनाइटेड) के एक अहम नेता रहे थे। वह बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे हैं और जदयू के संगठनात्मक प्रमुख के रूप में भी काम कर चुके हैं। महतो ने पार्टी के विभिन्न पदों पर रहते हुए पार्टी के प्रचार और संगठन का जिम्मा उठाया था।
महतो ने मधुबनी जिले में भी जदयू के जिला प्रमुख के रूप में कार्य किया और समाजिक कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई। वे एक उद्योगपति भी हैं और क्रॉकरी और मार्बल के व्यापार से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा, उन्होंने बी.कॉम तक की शिक्षा प्राप्त की है और राजनीति में कदम रखने से पहले वे सीतामढ़ी विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय रूप से शामिल थे।
महतो के इस्तीफे से पहले ही जदयू में देवेश चंद्र ठाकुर के नेतृत्व में कुछ विवाद सामने आ चुके थे। देवेश चंद्र ठाकुर बिहार के सीतामढ़ी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद हैं और बिहार विधान परिषद के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। वे एक प्रमुख नेता हैं और बिहार सरकार में आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री भी रह चुके हैं। ठाकुर चार बार से तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद के सदस्य रहे हैं और वे जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।
रामेश्वर महतो के इस्तीफे से जदयू के भीतर चल रहे आंतरिक संघर्षों और पार्टी के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं। महतो का आरोप और इस्तीफा पार्टी के लिए एक बड़ा राजनीतिक संदेश है, जो यह दिखाता है कि बिहार में जदयू की आंतरिक स्थिति कितनी कमजोर हो चुकी है