हिमाचल में कैंसर संस्थान को मिली केंद्र से मंजूरी, होगा आधुनिक इलाज और शोध

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हिमाचल प्रदेश में कैंसर के इलाज के लिए एक बड़ी पहल की गई है। राज्य के पहले कैंसर संस्थान को केंद्र सरकार से सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है, और यह संस्थान हमीरपुर में स्थापित किया जाएगा। इस परियोजना पर लगभग 300 करोड़ रुपये खर्च होंगे। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इसे अपनी ड्रीम प्रोजेक्ट बताया है और इसके लिए उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया से भी मुलाकात की थी। अब राज्य सरकार इस प्रोजेक्ट को जल्दी ही जमीन पर उतारने के लिए योजना बना रही है।यह कैंसर संस्थान खासतौर पर कैंसर से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए होगा और इसमें न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग भी होगा। यहां पर साइक्लोट्रॉन और न्यूक्लियर लैब जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं भी मौजूद होंगी। इस संस्थान का एक बड़ा उद्देश्य कैंसर के इलाज के साथ-साथ प्रदेश में कैंसर के बढ़ते मामलों के कारणों पर भी शोध करना होगा।

हिमाचल प्रदेश में कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, खासकर महिलाओं में स्तन कैंसर और पुरुषों में फेफड़ों के कैंसर के मामलों में वृद्धि हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि खानपान की खराब आदतें और देर से शादी करने की वजह से महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा बढ़ा है, वहीं पुरुषों में शराब और धूम्रपान के कारण फेफड़ों का कैंसर आम हो रहा है। प्रदेश के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में हर साल औसतन 150 स्तन कैंसर के मामले सामने आते हैं, जबकि 50 साल से ऊपर के लोगों में फेफड़ों के कैंसर के करीब 350 नए मामले आते हैं।इसके अलावा, राज्य सरकार ने यह भी योजना बनाई है कि हर जिला अस्पताल और कुछ आदर्श स्वास्थ्य केंद्रों में डे केयर कैंसर सेंटर खोले जाएं, जहां कीमोथेरेपी की सुविधा मुफ्त में दी जाएगी। इससे कैंसर के मरीजों को राहत मिलेगी और इलाज सस्ता होगा।

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