नसीम सोलंकी ने साक्षात्कार में दी स्पष्ट राय, कहा- कार्यकर्ता बुलाएंगे तो वनखंडेश्वर मंदिर फिर जाऊंगी

कानपुर की सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनीं नसीम सोलंकी ने हाल ही में अपनी पहली चुनावी जीत का जश्न मनाया। यह जीत उनके परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि सोलंकी परिवार ने इस सीट पर सातवीं बार जीत हासिल की है। नसीम सोलंकी, जो पूर्व विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी हैं, ने इस चुनाव में सभी मतदाताओं का समर्थन हासिल किया, खासकर हिंदू मतदाताओं का, और उनकी जीत को महादेव के आशीर्वाद का फल माना जा रहा है।
चुनाव में सबसे कठिन दिन के बारे में बात करते हुए नसीम सोलंकी ने बताया कि मतदान वाले दिन स्थिति बहुत चुनौतीपूर्ण थी। उन्हें कई स्थानों से खबरें मिल रही थीं कि मतदाताओं को रोकने का प्रयास किया जा रहा था, या पुलिस की सख्ती के कारण लोग वोट डालने नहीं आ रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि मतदाता पूरी संख्या में मतदान करते, तो उनकी जीत का अंतर और बढ़ सकता था, और उन्हें कम से कम 25-30 हजार और वोट मिल सकते थे।
नसीम सोलंकी ने वनखंडेश्वर मंदिर जाने के सवाल पर भी जवाब दिया, यह बताते हुए कि अगर कार्यकर्ता बुलाएंगे, तो वह मंदिर जाएंगी। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें कहीं जाने में कोई रोक-टोक नहीं है और वह अपनी जनता और कार्यकर्ताओं के साथ हमेशा हैं।
चुनाव के दौरान वह कई बस्तियों में गईं और वहां की दुर्दशा को देखा। खासकर कानपुर के टेनरी हाता इलाके में खराब सड़कें और लोगों की तकलीफों को देखकर उन्हें गहरा दुख हुआ। उन्होंने सत्ता में बैठे लोगों की उदासीनता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि सत्ता के लोग अपने काम सही तरीके से करते, तो लोगों को इस तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता।
अब नसीम की प्राथमिकता क्षेत्र का विकास है। उन्होंने कहा कि कई विकास कार्य अधूरे पड़े हैं, जैसे सड़कें, बिजली, पानी और अन्य बुनियादी सुविधाएं। वह इन कार्यों को प्राथमिकता से पूरा करने की योजना बना रही हैं, ताकि लोगों को बेहतर जीवन की सुविधा मिल सके।
चुनाव में उन्हें हर जगह से समर्थन मिला, लेकिन विशेष रूप से हिंदू मतदाताओं से उन्हें अधिक वोट मिले। नसीम ने कहा कि उनकी जीत जनता के विश्वास की जीत है और वह सीसामऊ की जनता की आभारी हैं।
चुनाव जीतने के बाद अजमेर शरीफ जाने के सवाल पर उन्होंने बताया कि वह और उनके पति इरफान सोलंकी एक साथ अजमेर शरीफ जाएंगे। हालांकि, अभी के लिए उन्होंने वहां जाने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया है, लेकिन उन्होंने अपनी धार्मिक प्रतिबद्धताओं को पूरा करते हुए स्थानीय दरगाहों और हाजी मुश्ताक सोलंकी की कब्र पर जाकर दुआ मांगी।
नसीम सोलंकी की इस जीत को उनके परिवार की संघर्ष और कड़ी मेहनत का परिणाम माना जा रहा है, और उनकी आने वाली कार्यकाल में क्षेत्रीय विकास की दिशा में कई सुधारों की उम्मीद जताई जा रही है।