BIHAR NEWS: बेगूसराय के किसान डीएपी खाद के लिए परेशान; चौमासा फसल की बुआई के लिए खेत तैयार, और खाद की कीमत 2000 के पार

बेगूसराय जिले में डीएपी खाद की किल्लत ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। रबी फसल की बोआई का समय शुरू हो गया है लेकिन बाजार में डीएपी खाद गायब है।



अधिकृत विक्रेता आउट ऑफ स्टॉक के बोर्ड लगाकर किसानों को गुमराह कर रहे हैं जबकि वही दुकानदार 2000 रुपये तक में 50 किलो का डीएपी बैग बेच रहे हैं। किसान कृषि विभाग से मदद की गुहार लगा रहे हैं। धान की कटनी प्रारंभ हो गई है। किसान परती भूमि भी जोतकर बैठे हैं। किसान तेजी में हैं कि जितनी जल्दी हो सके अन्य रबी फसल भी लगाई जा सके, परंतु पीक सीजन में बाजार से डीएपी खाद गायब है। अधिकृत विक्रेताओं ने आउट ऑफ स्टॉक के बोर्ड लगा दिए हैं, जबकि उन्हीं की दुकान से दो हजार रुपये तक में 50 किलो का डीएपी बैग कालाबाजारी में बेचा जा रहा है।

खाद की समस्या किसान खरीफ फसल के दौरान भी झेल चुके हैं। ऐसे में रबी फसल की बोआई शुरू होने के समय खाद नहीं मिलने की चिंता किसानों को सता रही है, जबकि रबी मौसम में किसानों का सारा दारोमदार डीएपी खाद पर ही होता है।

परेशानी में हैं किसान:

किसान अबोध कुमार, पंकज कुमार, दानिश आलम का कहना है कि डीएपी खाद की किल्लत ने किसानों के सामने नई मुसीबत खड़ी कर दी है। सभी रबी फसल की बोआई शुरू करने व तेलहन की पैदावार बढ़ाने के गुर किसानों को कृषि विभाग द्वारा सिखाया जा रहा है। फिर भी किसानों को डीएपी खाद की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं कराई जा सकी है। चौमास खेत पूरी तरह से तैयार है। इसमें तेलहन, मक्का लगाया जाना है। इधर, जब दुकान पर खाद लेने पहुंचते हैं तो एक ही जवाब मिलता है कि एक सप्ताह का इंतजार कीजिए, रैक आने पर खाद मिलना शुरू हो जाएगा।

किसानों का कहना है कि शुरुआती दौर में ही खाद को लेकर मारामारी बनी हुई है। अभी गेहूं की बोआई तो बाकी है। खाद के नाम पर सिर्फ यूरिया मिल रहा है।कई किसानों ने बताया कि कुछ दुकानों में पुरानी खाद मिल रही है जो अधिक दिन रखे रहने के कारण बोरी में ही पिघल गया है। उस खाद की भी तय कीमत से अधिक मांगी जा रही है।

आजमा सकते हैं डीएसपी का विकल्प:

वर्तमान समय में दलहन, तेलहन, मक्का एवं गेहूं की बोआई जिले में चल रही है। कृषि विज्ञानी डॉ. राम कृपाल सिंह बताते हैं कि किसान बंधुओं को डीएपी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो अन्य विकल्प का भी प्रयोग कर सकते हैं। दानेदार यूरिया के विकल्प के रूप में तरल नैनो यूरिया पांच सौ मिली प्रति हेक्टेयर पौधों पर छिड़काव कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि लगातार रासायनिक उर्वरक की अधिक मात्रा में उपयोग से मिट्टी में लाभकारी जीवाणु की संख्या घटने से मिट्टी की उर्वरता घट रही है। किसान प्राकृतिक खेती को अपनाएं एवं जैविक तथा हरी खाद का प्रयोग करें।

अधिकारी ने क्या कहा?

प्रखंड कृषि पदाधिकारी पारस नाथ याजी बताते हैं कि खाद की फिलहाल कोई किल्लत नहीं है। कोई दुकानदार कृत्रिम किल्लत बताते हैं तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।

 

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