Assembly Elections 2025: दिल्ली की राजनीति में प्रवासी मतदाताओं की अहमियत, सभी पार्टियां जुटीं रिझाने में

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दिल्ली की सियासत में प्रवासी मतदाताओं का दबदबा रहता है। पंजाबी व सिख, पूर्वांचल, उत्तराखंड समेत दूसरे राज्यों से ताल्लुक रखने वाले लोगों को अपने पक्ष में करने की जुगत में सभी पार्टियां जोर लगाती हैं।

दिल्ली को मिनी भारत माना जाता है। पूरे देश से रोजगार की तलाश में दिल्ली पहुंचने वालों की प्राथमिकता सुरक्षाजनित रहती है। सामाजिक तौर पर शहर में पहला जुड़ाव अपने क्षेत्र के लोगों से होता है। एक शोध के मुताबिक,

दिल्ली में करीब 90 फीसदी निर्माण मजदूर बुंदेलखंड, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ से हैं। रेहड़ी-पटरी व ट्रांसपोर्ट सेक्टर पर पूर्वांचल के लोग काबिज हैं। ढाबे पर काम करने वालों की अधिकता उत्तराखंड के लोगों की है।

खास बात यह कि ऐसे लोग एक ही इलाके में रहना भी पसंद करते हैं। चुनाव के वक्त राजनीतिक दल इसी पहचान को खाद-पानी देकर वोट में तब्दील कर देते हैं। उम्मीदवारों के चयन से लेकर चुनाव प्रचार करने वाले नेता भी प्रदेश विशेष का होता है। यही वजह है कि राजनीतिक दलों के यूपी, बिहार, हरियाणा व पंजाब के नेता दिल्ली के पूर्वांचली, दिल्ली देहात और पंजाबी बहुल इलाकों में प्रचार के दौरान दिख जाते हैं। वहीं, जहां व पूर्वोत्तर के लोग लोग रहते हैं, वहां उसी प्रदेश का नेता प्रचार में होता है।

अलग-अलग दलों से मिलने वाली सहूलियतों व चुनावी वादों के साथ मतदाता की स्थानीय पहचान चुनावों में भारी रहती है। इस वक्त यह प्रवृत्ति और भी ज्यादा है। इसकी वजह यह है कि अलग-अलग प्रवासी समूहों का वोट हासिल करने के लिए राजनीतिक दलों ने अपनी तरफ से कई सारी सहूलियतें दी हैं। वहीं, इनके बीच से नेता भी आ रहे हैं। पूर्वांचल, उत्तराखंड, पंजाबी समेत जिस भी स्थानीय समूह की भागीदारी ज्यादा है, वह राजनीतिक दलों से मोलभाव करने में उतना ही आगे रहता है।

दिल्ली में बाहर से आने वाले लोग जिन वजहों से एक साथ आते हैं, उसमें सुरक्षा, भावनात्मक लगाव, भाषा व सांस्कृतिक पृष्ठभूमि अहम है। यह स्वाभाविक भी है। चुनावों के दौरान स्थानीय पहचान उभरकर सामने आती है। आज से 20-25 साल पहले कौन कल्पना कर सकता था कि दिल्ली में दस से ज्यादा पूर्वांचल से ताल्लुक रखने वाले विधायक होंगे। छठ का आयोजन जिस तरह हो रहा है, उसकी 90 के दशक तक कल्पना नहीं की जा सकती है। इसी तरह पंजाब के त्योहार भी बड़े पैमाने पर आयोजित होते हैं।

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