कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन को लेकर दुनिया भर में फैली चिंताओं के बीच एक आशाजनक संकेत उभरा

रिपोर्ट राजेश वर्मा

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कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन को लेकर दुनिया भर में फैली चिंताओं के बीच एक आशाजनक संकेत उभरा है। संकेत यह है कि इस वैरिएंट से संक्रमित लोगों में अब तक बहुत हल्के प्रकार के लक्षण उभरे हैं।

दक्षिण अफ्रीका की डॉक्टर एंजिलिके कोत्जी ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में ये बात कही। उन्होंने बताया कि उन्होंने या उनके सहकर्मियों ने अब तक ऐसा एक भी मरीज नहीं देखा, जिसकी स्थिति इस वैरिएंट से संक्रमित होने के कारण गंभीर हुई हो। इसकी वजह से संक्रमित मरीजों ने गहरी थकान महसूस जरूर की है, लेकिन गंध या स्वाद चले जाने के लक्षण उनमें नहीं दिखे हैं।

संक्रामक रोग विशेषज्ञों का कहना है कि इस वैरिएंट के बारे में मिली शुरुआती जानकारियां आशा जगाने वाली हैं। लेकिन उन्होंने आगाह किया है कि अभी बहुत कम डाटा मौजूद है, इसलिए जल्दबाजी में कोई निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए। बल्कि यह चिंताजनक पहलू है कि ओमीक्रॉन वैरिएंट बहुत अधिक संख्या में म्यूटेट करता है और उसके फैलने की दर बहुत तेज है। साथ ही अभी यह नहीं मालूम है कि मौजूदा वैक्सीन उस पर प्रभावी होंगे या नहीं।

अमेरिका में जॉन हॉपकिंस सेंटर फॉर हेल्थ सिक्योरिटी में संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ डॉ. अमेश अडेल्जा ने टीवी चैनल एनबीसी से कहा- 'मुझे नहीं लगता कि हम इस बारे में अभी कुछ भी जानते हैं कि ये वैरिएंट कितना मारक है। बल्कि हम इसकी संक्रमण दर और इम्यून सिस्टम को भेदने की क्षमता को लेकर चिंतित हैं।'

दोबारा संक्रमित होने का खतरा

डॉ. अडेल्जा ने संभावना जताई कि वैक्सीन इस वैरिएंट से भी सुरक्षा देने में सक्षम साबित होंगी। लेकिन जिन लोगों ने अभी तक टीका नहीं लगवाया है, उनके संक्रमित होने की आशंका अधिक बनी हुई है। उन्होंने कहा कि इस वैरिएंट के कारण वैक्सीन लगवा चुके लोगों के संक्रमित होने या जो लोग पहले कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं, उनके दोबारा संक्रमित होने का खतरा पैदा हो गया है।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अमेरिकी कंपनियां फाइजर और मॉडेरना इस बात के परीक्षण में जुटी हुई हैं कि उनकी पुराने कोविड वैक्सीन नए वैरिएंट से बचाव करने में सक्षम हैं या नहीं। उधर कोलंबिया यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोग के प्रोफेसर स्टीफन मोर्स ने कहा है कि जिस तेजी से इस वैरिएंट का म्यूटेशन होता है, वैसा पहले कभी नहीं देखा गया।

अलग-अलग देशों में कैसा होगा असर, इस पर नजर

विशेषज्ञों के लिए अभी सबसे अहम सवाल यह बना हुआ है कि क्या जिन देशों में टीकाकरण की दर ऊंची है, वहां भी ये वैरिएंट तेजी से फैलेगा। अमेरिका के हार्वे इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ में बायो-इन्फॉर्मेटिक्स विभाग के निदेशक रेमन लोरेंजो-डेडोन्डो ने एनबीसी से कहा कि टीकाकरण की ऊंची दर वाले देशों में ये वैरिएंट कितनी तेजी से फैलेगा, यह अभी मालूम नहीं है। इसलिए इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी कि इस वैरिएंट का अलग-अलग देशों में कैसा असर होगा।
इस वैरिएंट से संक्रमित मरीजों की पहचान मंगलवार तक 13 देशों में हो चुकी थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन इस वैरिएंट को चिंता की वजह बता चुका है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलाइना में एसिस्टैंट प्रोफेसर मेलिसा नोलान ने कहा है कि कोरोना वायरस म्यूटेट करते हैं, यह हमको मालूम है। इसलिए जब तक दुनिया में सभी लोगों का टीकाकरण नहीं हो जाता, ओमीक्रॉन जैसे खतरे सामने आते रहेंगे।