बैंक घोटाला: 100 करोड़ के घोटाले में RBI ने इस बैंक का कामकाज रोका, अब विधायक आलोक मेहता की हो रही जांच

बिहार में एक बड़ा बैंक घोटाला सामने आया है, जो राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक आलोक मेहता से जुड़ा हुआ है। इस घोटाले में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की शुरुआती जांच में पांच करोड़ रुपये के गबन का आरोप था, लेकिन जैसे-जैसे जांच बढ़ी, यह घोटाला करीब 100 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
घोटाले का खुलासा
यह मामला एक कोऑपरेटिव बैंक से जुड़ा है, जो भारतीय रिजर्व बैंक से रजिस्टर्ड था। बैंक के खिलाफ आरोप है कि उसने किसानों के नाम पर फर्जी कागजात तैयार कर करोड़ों रुपये के लोन बांटे और इस लोन का गबन किया। जांच में सामने आया कि लिच्छवि कोल्ड स्टोरेज प्राइवेट लिमिटेड और महुआ कोऑपरेटिव कोल्ड स्टोरेज नामक कंपनियों ने बैंक से करीब 60 करोड़ रुपये का गबन किया। इन कंपनियों ने अपनी गारंटी पर बड़े पैमाने पर लोन निकाले थे।
ईडी की छापेमारी
इस मामले में बिहार सरकार के एक पूर्व मंत्री और लालू परिवार के करीबी राजद विधायक आलोक मेहता की भी भूमिका सामने आई है। उनकी संलिप्तता के चलते आज ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की टीम ने उनके 16 ठिकानों पर छापेमारी की है। इससे जुड़े पुराने मामलों को फिर से तूल मिल गया है।
आरबीआई की कार्रवाई
जून 2023 में आरबीआई ने इस बैंक के वित्तीय कारोबार पर रोक लगा दी थी, और इसकी जांच में करीब पांच करोड़ रुपये के गबन का मामला सामने आया था। जैसे-जैसे जांच बढ़ी, घोटाले की राशि 100 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। यह खुलासा हुआ कि बैंक ने किसानों के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर करोड़ों रुपये के लोन बांटे, जो बाद में गबन कर लिए गए।
आलोक मेहता की भूमिका
आलोक मेहता की भूमिका इस घोटाले में जांच के दायरे में है। उनका नाम इस घोटाले में सामने आने के बाद ईडी ने उनके ठिकानों पर कार्रवाई शुरू की है। यह मामला राजद से जुड़े एक प्रमुख नेता की संलिप्तता को लेकर बड़ा विवाद पैदा कर सकता है।
प्रारंभिक जांच और आगे की कार्रवाई
इस मामले में अब तक जो तथ्य सामने आए हैं, उसके अनुसार यह घोटाला बिहार के कई ग्रामीण इलाकों में किसानों के नाम पर घोटाले का रूप ले चुका है। इस घोटाले में कई अन्य आरोपियों की भी पहचान की गई है, और जांच जारी है। पुलिस और ईडी की टीम को उम्मीद है कि इस मामले में और भी सुराग मिल सकते हैं, जिससे घोटाले के मुख्य आरोपियों तक पहुंचा जा सके।