IIT दिल्ली की नई पहल: 19 छात्रों को मिला 25,000 का पुरस्कार, क्या आप भी हैं इस मौके के लिए तैयार?

IIT दिल्ली की नई पहल: 19 छात्रों को मिला 25,000 का पुरस्कार, क्या आप भी हैं इस मौके के लिए तैयार?

19 छात्रों को मिला 25,000 का पुरस्कार

IIT दिल्ली ने शोध छात्रों की संवाद क्षमताओं को निखारने के लिए ‘रिसर्च कम्युनिकेशंस अवार्ड (आरसीए)’ की शुरुआत की है। पहले बैच में 19 छात्रों को पुरस्कृत किया गया, जिन्होंने अनुसंधान कहानी लेखन और तीन मिनट की थीसिस प्रतियोगिता जैसे संचार से संबंधित कार्यक्रमों में उत्कृष्टता दिखाई।

छात्रों को 25-25 हजार रुपये का इनाम दिया गया

विजेताओं को एक प्रशस्ति पत्र और 25,000 रुपये का पुरस्कार प्रदान किया गया। शोध कहानी लेखन प्रतियोगिता में पीएचडी शोधार्थियों को अपने अनुसंधान पर आधारित एक संक्षिप्त और आकर्षक कहानी प्रस्तुत करनी थी, जो सामान्य लोगों के लिए समझने योग्य हो और उनके काम के महत्व को उजागर करे। दूसरी प्रतियोगिता, “तीन मिनट की थीसिस,” में पीएचडी उम्मीदवारों ने दर्शकों के समक्ष अपने शोध का संक्षिप्त अवलोकन पेश किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को उनके शोध कार्य में प्रोत्साहित करना था। 11 पीएचडी शोधार्थियों को तीन मिनट की थीसिस प्रतियोगिता में उनकी उपलब्धियों के लिए रिसर्च कम्युनिकेशंस अवार्ड (आरसीए) प्रदान किया गया।

इनमें इस्पशिता मजूमदार (रसायन विज्ञान), शिवांश मेहरोत्रा (सामग्री विज्ञान और इंजीनियरिंग), कुसुम सैनी (सिविल इंजीनियरिंग), सुशोवन घोष (वायुमंडलीय विज्ञान), ऋतंक्षा जोशी (बायोकेमिकल इंजीनियरिंग), विवेक कुमार नायर (अंतःविषय अनुसंधान), अभिषेक नायर (रसायन विज्ञान), अंकिता राज (कंप्यूटर साइंस), सिमरन कौर रैनू (बायोमेडिकल इंजीनियरिंग) शामिल हैं।

कहानी लेखन प्रतियोगिता में शाज़िया शरीफ (ग्रामीण विकास एवं प्रौद्योगिकी), सुशोवन घोष (वायुमंडलीय विज्ञान), अंजू (बायोमेडिकल इंजीनियरिंग और जैव प्रौद्योगिकी), प्रिया जैन (रसायन विज्ञान), कृष्ण कुमार (रसायन विज्ञान), जुवेरिया (बायोकेमिकल इंजीनियरिंग), सरन्या बनर्जी (सिविल इंजीनियरिंग), और स्वर्णिमा अग्रवाल (यूक्यूआइडीएआर) को भी पुरस्कृत किया गया है।

सोसिएट डीन प्रोफेसर धान्या सीटी ने क्या कहा…

आईआईटी दिल्ली में पीजी रिसर्च की एसोसिएट डीन प्रोफेसर धान्या सीटी ने “आरसीए” के बारे में कहा, “हमारा मिशन केवल संस्थान में अनुसंधान संस्कृति को मजबूत करना नहीं है, बल्कि विद्वानों को समृद्ध करना और उन्हें स्वतंत्र शोधकर्ताओं के रूप में विकसित करने में सहायता करना भी है। हमारा पाठ्यक्रम विद्वानों को बहस, सेमिनार और प्रतियोगिताओं के माध्यम से अपनी प्रयोगशालाओं के बाहर सहभागिता के पर्याप्त अवसर प्रदान करता है। हमने अपने समाज के लिए अधिक स्वायत्त और कुशल शोधकर्ताओं और इंजीनियरों को तैयार करने के लिए आरसीए को सह-पाठ्यचर्या गतिविधि के रूप में पेश किया है।

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