दाती महाराज और भाइयों पर गिरी जेल की तलवार! 2018 के रेप मामले में आरोप तय, जानें पूरी कहानी

दाती महाराज और भाइयों पर गिरी जेल की तलवार! 2018 के रेप मामले में आरोप तय, जानें पूरी कहानी

दाती महाराज और भाइयों पर गिरी जेल की तलवार

साकेत स्थित फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 2018 में दर्ज दुष्कर्म के मामले में फतेहपुर बेरी स्थित शनिधाम के संस्थापक मदन लाल राजस्थानी उर्फ दाती महाराज और उनके दो भाइयों के खिलाफ मुकदमा शुरू करने का आदेश शुक्रवार को जारी किया। अदालत ने इन तीनों के खिलाफ रेप के आरोप तय करते हुए यह आदेश पारित किया है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नेहा ने मदन लाल राजस्थानी और उनके दो भाइयों, अशोक और अर्जुन, के खिलाफ दुष्कर्म समेत अन्य अपराधों के आरोप तय किए। अदालत में मौजूद आरोपितों ने अपने गुनाह कबूल करने से इनकार किया, जिसके बाद मुकदमा शुरू करने का आदेश जारी किया गया।

यह मामला 2018 में CBI को सौंपा गया

अदालत ने 18 अक्टूबर से अभियोजन के साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने 3 अक्टूबर 2018 को इस मामले की आगे की छानबीन का जिम्मा CBI को सौंपा था, जो पीड़िता की मांग पर किया गया, जिन्होंने मामले में क्राइम ब्रांच की जांच को लेकर कुछ सवाल उठाए थे।

पीड़िता की ओर से 7 जून 2018 को दाती के खिलाफ दर्ज की गई दुष्कर्म की शिकायत पर पुलिस ने 11 जून 2018 को एफआईआर दर्ज की थी। 2019 में दुष्कर्म और धमकाने के आरोपों में चार्जशीट दाखिल की गई, जिसमें दाती और उसके तीन भाइयों, अशोक, अर्जुन और अनिल, को आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म), 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध), 506 (आपराधिक रूप से धमकाना) और 34 (समान मंशा) के तहत आरोपी बनाया गया। इस बीच, मामला CBI के पास चला गया।

2020 में CBI ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की 

सीबीआई ने जांच शुरू की और 4 सितंबर 2020 को दाती और उनके दो भाइयों के खिलाफ रेप के आरोप में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की। सीबीआई ने पीड़िता के बयान के आधार पर अपनी चार्जशीट में नीतू उर्फ मां श्रद्धा और नीमा जोशी को मुल्जिम के रूप में नामित किया, जबकि विशेष आरोपों के बावजूद क्राइम ब्रांच ने इन्हें आरोपी नहीं बनाया था।

पीड़िता के वकील प्रदीप तिवारी ने कहा कि फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस चलने के बावजूद कार्यवाही की धीमी गति ने शिकायतकर्ता का मनोबल तोड़ दिया है। उन्हें पूरा भरोसा है कि इन छह वर्षों में केस के गवाहों और साक्ष्यों को प्रभावित करने की कई कोशिशें हुई होंगी। ऐसे में वह अब न्याय मिलने की उम्मीद काफी हद तक खो चुकी हैं। पीड़िता के वकील पर हमले के बावजूद उन्हें पुलिस सुरक्षा देने से इनकार कर दिया गया।

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