29 साल बाद भी न्याय अधूरा: पुरुलिया कांड के मास्टरमाइंड का प्रत्यर्पण रद्द, भारत की उम्मीदें टूटीं

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1995 में पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में सैकड़ों AK-47 राइफल्स, एंटी-टैंक ग्रेनेड्स, और हजारों गोला-बारूद गिराने की घटना को लेकर भारत में न्याय की उम्मीद फिर से धूमिल हो गई है। डेनमार्क की अदालत ने इस मामले के मास्टरमाइंड नील्स होल्क के प्रत्यर्पण के भारत के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है।

डेनमार्क की शीर्ष अभियोजन प्राधिकरण ने पहले नील्स को भारत भेजने के लिए सहमति दी थी, लेकिन अदालत ने “अमानवीय व्यवहार” और “यातना” का जोखिम बताते हुए इस फैसले को पलट दिया। 62 वर्षीय होल्क ने 17 दिसंबर 1995 की उस घटना को स्वीकार किया था जब उसने पुरुलिया जिले में मालवाहक विमान से हथियारों का जखीरा गिराया था।

भारत 2002 से होल्क के प्रत्यर्पण के लिए प्रयासरत है, लेकिन हर बार न्याय की प्रक्रिया में बाधा आ रही है। इस फैसले से भारत और डेनमार्क के बीच राजनयिक संबंध भी तनावपूर्ण हो गए हैं।

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