पुतिन की मुश्किलें बढ़ीं: यूक्रेन की घुसपैठ के बाद बेलारूस से सैन्य मदद लेने को मजबूर

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यूक्रेन के कुर्स्क में घुसी सेना ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए एक नया संकट खड़ा कर दिया है। पुतिन की सेना यूक्रेनी सैनिकों को रोकने में नाकाम साबित हो रही है, जिसके चलते उन्हें अपने तानाशाह सहयोगी, बेलारूस के अलेक्जेंडर लुकाशेंको से मदद मांगनी पड़ी है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूक्रेन की सेना ने 6 अगस्त को पहली बार रूसी क्षेत्र में प्रवेश किया और कुर्स्क के 1294 वर्ग किमी क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। तीन हफ्तों के भीतर 100 से अधिक शहरों और बस्तियों पर यूक्रेन का कब्जा हो चुका है। इस दबाव में, पुतिन ने बेलारूस से सैन्य सहायता मंगवाई है। यूक्रेन की सीमा पर ‘B’ चिह्नित बेलारूसी टैंकों की तैनाती इसकी पुष्टि करती है।

बेलारूस से मदद लेने के बावजूद, पुतिन की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है। यूक्रेन ने बेलारूस को चेतावनी दी है कि अगर बेलारूसी सैनिकों को रूसी समर्थन में भेजा गया, तो बेलारूस के सैन्य अड्डे और सप्लाई मार्ग यूक्रेनी हमलों के निशाने पर होंगे। कीव के कमांडर इन चीफ ओलेक्सेंडर सिरस्की के अनुसार, कुर्स्क में तैनात किए जा रहे रूसी सैनिकों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन हर दिन यूक्रेन के हाथों 300 से अधिक रूसी सैनिक मारे जा रहे हैं या घायल हो रहे हैं।

पुतिन की यह मजबूरी, बेलारूस से सैन्य सहायता लेने की, इस बात की ओर इशारा करती है कि यूक्रेन ने रूस को उसके ही घर में घेर लिया है और पुतिन के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।

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