तेजस्वी यादव ने ‘लौंडा नाच’ को बिहार की सांस्कृतिक विरासत बताया, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की आलोचना की

तेजस्वी का आवास सम्राट चौधरी को, Dy CM को मिला 5 देशरत्न मार्ग का सरकारी बंगला - Tejaswi Yadav Bunglow to Samrat Choudhary Patna New bungalow allotted to Bihar government ministers ntc - AajTak

बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी द्वारा ‘लौंडा नाच’ पर की गई टिप्पणी की कड़ी आलोचना की। तेजस्वी यादव ने कहा कि ‘लौंडा नाच’ बिहार की समृद्ध संस्कृति और विरासत का अभिन्न हिस्सा है, और सम्राट चौधरी स्वयं भी पहले इस कला का आनंद लेते थे।

 

सम्राट चौधरी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया

 

तेजस्वी यादव ने विधानसभा में कहा, “ये खुद उसी श्रेणी में शामिल थे, ताली पीटने में। ‘लौंडा नाच’ बिहार की समृद्ध संस्कृति और विरासत है। भिखारी ठाकुर हमारी धरोहर हैं, उनका ये लोग उपहास उड़ा रहे हैं। उन्हें कौन नहीं जानता, उन्हें भोजपुरी का शेक्सपियर कहा जाता है। क्या ‘लौंडा नाच’ बिहार की संस्कृति नहीं है? इन लोगों ने उसका मजाक उड़ाने का काम किया।”

 

सम्राट चौधरी की पूर्व की टिप्पणी

 

राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा था, “1990 से लेकर 2005 तक अगर काम हुआ होता, तो आज बिहार में नीतीश कुमार को काम करने की जरूरत नहीं होती। पूरे 15 साल का अंतराल मिला। 15 साल कोई काम ही नहीं हुआ, सिर्फ नाच-गाना और ‘लौंडा नाच’ होता रहा। यही लालू जी का राज था।”

 

तेजस्वी यादव का सम्राट चौधरी पर पलटवार

 

तेजस्वी यादव ने सम्राट चौधरी पर निशाना साधते हुए कहा कि वे पहले ‘लौंडा नाच’ का आनंद लेते थे और अब उसी पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कहा, “ये खुद उसी श्रेणी में शामिल थे, ताली पीटने में।”

 

भिखारी ठाकुर की विरासत का सम्मान

 

तेजस्वी यादव ने भोजपुरी के महान नाटककार भिखारी ठाकुर का उल्लेख करते हुए कहा कि वे हमारी धरोहर हैं और उन्हें भोजपुरी का शेक्सपियर कहा जाता है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ‘लौंडा नाच’ बिहार की संस्कृति नहीं है और आरोप लगाया कि सम्राट चौधरी जैसे लोग इस कला का मजाक उड़ा रहे हैं।

 

राजनीतिक विवाद और सांस्कृतिक पहचान

 

यह विवाद बिहार की सांस्कृतिक पहचान और राजनीतिक बयानबाजी के बीच के तनाव को उजागर करता है। ‘लौंडा नाच’ बिहार की पारंपरिक लोक कला है, जिसमें पुरुष कलाकार महिला पात्रों की भूमिका निभाते हैं। इस कला का इतिहास समृद्ध है और यह राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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