45 वर्षों की सेवा के बाद पेंशन न देने पर एमपी हाई कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक सेवानिवृत्त कर्मचारी की पेंशन न देने के मामले में राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने कहा कि 45 वर्षों तक सेवा करने के बाद किसी कर्मचारी को बिना पेंशन के विदा करना अस्वीकार्य है। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को तीन महीने के भीतर पेंशन का भुगतान किया जाए।
मामले का विवरण
याचिकाकर्ता ने 45 वर्षों तक राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में सेवा की थी। सेवानिवृत्ति के बाद, उन्हें पेंशन का भुगतान नहीं किया गया, जिससे उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उन्होंने न्यायालय में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई।
कोर्ट की टिप्पणी
न्यायालय ने कहा कि इतने लंबे समय तक सेवा करने के बाद पेंशन न देना न केवल कानून के खिलाफ है, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी अनुचित है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह तीन महीने के भीतर याचिकाकर्ता को पेंशन का भुगतान सुनिश्चित करे।
पेंशन का महत्व
पेंशन सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए आर्थिक सुरक्षा का महत्वपूर्ण साधन है। यह उन्हें वृद्धावस्था में सम्मानपूर्वक जीवनयापन करने में सहायता करती है। पेंशन न मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
न्यायालय का दृष्टिकोण
हाई कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार के रवैये पर असंतोष व्यक्त किया और कहा कि कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में ऐसे मामलों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
यह निर्णय सेवानिवृत्त कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उम्मीद है कि इससे राज्य सरकार और अन्य संबंधित विभाग भविष्य में पेंशन भुगतान के मामलों में सतर्क रहेंगे और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को समय पर उनके अधिकार प्रदान करेंगे।