मध्य प्रदेश हाई कोर्ट: पत्नी की अश्लील चैटिंग मानसिक क्रूरता, तलाक का आधार
पत्नी की अश्लील चैटिंग मानसिक क्रूरता, हाई कोर्ट ने कहा- तलाक जायज
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि शादीशुदा जीवन में पति या पत्नी द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के साथ अश्लील बातचीत करना मानसिक क्रूरता के समान है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह की खंडपीठ ने एक तलाक मामले की सुनवाई के दौरान की।
मामले के अनुसार, पति ने अदालत में दावा किया कि उसकी पत्नी शादी के बाद भी अपने पुरुष मित्रों के साथ व्हाट्सएप पर आपत्तिजनक चैटिंग करती थी। उसने यह भी आरोप लगाया कि पत्नी ने उसकी मां के साथ दुर्व्यवहार किया और शादी के कुछ महीनों बाद ही ससुराल छोड़ दिया। इसके अलावा, पति ने सबूत के तौर पर पत्नी की आपत्तिजनक चैटिंग कोर्ट में प्रस्तुत की।
दूसरी ओर, पत्नी ने इन आरोपों को झूठा बताते हुए दावा किया कि पति ने उसके फोन को हैक किया और उसके खिलाफ गलत सबूत बनाए। उसने अपने पति पर दहेज की मांग और प्रताड़ना के आरोप भी लगाए।
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद माना कि शादी के बाद किसी अन्य व्यक्ति के साथ अश्लील चैटिंग करना पति या पत्नी के लिए मानसिक आघात हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि विवाह में विश्वास और मर्यादा का पालन आवश्यक है, और इस तरह की हरकतें तलाक का उचित आधार बन सकती हैं।
कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पत्नी की अपील को खारिज कर दिया और पति को तलाक की अनुमति दी। यह फैसला स्पष्ट करता है कि विवाह के दौरान इस प्रकार की हरकतें मानसिक क्रूरता के अंतर्गत आएंगी और तलाक का कारण बन सकती हैं।