Uttarakhand: शराब पर विवाद बरकरार, लेकिन सरकारी खजाने के लिए बनी संजीवनी, आबकारी विभाग को मिला बड़ा लक्ष्य

दारू भले बदनाम है लेकिन सरकारी खजाने को पिछले दो साल से इस कदर मदमस्त कर रही है कि वित्त विभाग ने आबकारी को राजस्व जमा करने का सबसे बड़ा लक्ष्य दे दिया है। जिसे हासिल करने के लिए आबकारी विभाग ने मौजूदा ठेकों पर ही भरोसा जताया है।
नई आबकारी नीति के तहत मौजूदा ठेकों का नवीनीकरण दो साल के लिए किया जा रहा है।
आबकारी आयुक्त हरि चंद्र सेमवाल ने बताया कि नवीनीकरण की प्रक्रिया लॉटरी व टेंडर के मुकाबले अधिक सफल रही है, जिसकी वजह से पिछले दो सालों से विभाग राजस्व लक्ष्य को प्राप्त कर रहा है।
बीते साल (2023-24) में शत प्रतिशत और वर्तमान में बीते साल की तुलना में समान अवधि में 260 करोड़ से अधिक राजस्व प्राप्त हो चुका है। इसलिए नवीनीकरण नीति को अपनाया जा रहा है।
राज्य में थोक मदिरा दुकानों का आवंटन सिर्फ मूल निवासियों के लिए है और खुदरा में भी मूल निवासियों को ही प्राथमिकता है।
इस समय राज्य में कुल 647 दुकानें हैं जो कि उत्तराखंड के लोगों के लिए आरक्षित हैं। जो लाइसेंसधारी नवीनीकरण नहीं कराएंगे उनकी दुकानों के लिए लॉटरी के जरिए करके अन्य लोगों को अवसर दिया जाएगा।