उत्तराखंड में सख्त भू-कानून: भूमि खरीद पर नए नियम
एमएसएमई के लिए भूमि खरीद – जिलाधिकारी के बजाय अब शासन देगा अनुमति।
थ्रस्ट सेक्टर को प्राथमिकता – उद्योग, अस्पताल, पर्यटन, शिक्षा को बढ़ावा।
निगरानी पोर्टल से होगी – भूमि खरीद पर राज्य सरकार की सख्त नजर।
250 वर्ग मीटर की सीमा – बाहरी लोग केवल एक बार आवासीय भूमि खरीद सकते हैं।
लीज नीति का प्रावधान – पर्वतीय जिलों में कृषि एवं बागवानी के लिए लीज पर भूमि उपलब्ध।
उत्तराखंड में सख्त भू-कानून बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। हाल ही में विधानसभा में उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया। इस कानून के तहत एमएसएमई सेक्टर के लिए भूमि खरीद की अनुमति जिलाधिकारी के बजाय अब शासन द्वारा दी जाएगी।
सरकार ने राज्य में उद्योगों, अस्पतालों, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं, पर्यटन और शिक्षण संस्थानों को प्रोत्साहित करने के लिए भूमि निवेश की प्रक्रिया को सरल बनाया है। हालांकि, इसके लिए संबंधित विभागों से भूमि अनिवार्यता प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य होगा।
बाहरी व्यक्तियों के लिए नियम और सख्त किए गए हैं। यदि कोई व्यक्ति नगर निकाय क्षेत्र से बाहर आवास के लिए भूमि खरीदना चाहता है, तो अधिकतम 250 वर्ग मीटर तक ही भूमि खरीद सकता है। इसके लिए शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा, और यदि कोई गलत जानकारी देता है, तो भूमि पर राज्य सरकार का कब्जा हो जाएगा।
राज्य सरकार ने पर्वतीय जिलों में भूमि लीज पर देने की व्यवस्था की है, जिससे ग्रामीणों को आर्थिक लाभ मिलेगा। वहीं, हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर को छोड़कर अन्य 11 जिलों में कृषि एवं बागवानी के लिए भूमि खरीद प्रतिबंधित रहेगी। इन दो जिलों में भी भूमि खरीदने वाले को अन्य जिलों में भूमि लेने के लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी।
संशोधित विधेयक को अब राजभवन भेजा जाएगा। राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह नया भू-कानून लागू हो जाएगा.