World Radio Day: अब रेडियो का अपना ऐप, ई-मेल से आ रही फरमाइशें, काशी में 1962 में बना था मीडियम वेव ट्रांसमीटर

ये है विविध भारती… एक जमाना था, जब ट्रांजिस्टर रेडियो पर ये लाइन सुनने को मिल जाया करती थी। गूगलकालीन दुनिया ने इस आवाज को खत्म तो नहीं किया, लेकिन कुछ बदलाव जरूर कर दिए। रेडियो पर गाने सुनने और सुनाने की फरमाइश की व्यवस्था भी बदल गई है। पीएम नरेंद्र मोदी के मन की बात के प्रसारण और तकनीक ने रेडियो को जिंदा कर दिया है।
वाराणसी के सारनाथ में मीडियम वेव (तरंगें) ट्रांसमीटर और स्डूटियो का उद्घाटन 28 अक्तूबर 1962 को हुआ था। इसके बाद स्टूडियो को महमूरगंज में स्थापित कर दिया गया, फिर इसका उद्घाटन 1 अगस्त 1983 को हुआ।
आकाशवाणी वाराणसी के पूर्व वरिष्ठ उद्घोषक पांडुरंग लक्ष्मीकांत पुराणिक बताते हैं कि समय के साथ रेडियो को भी बदला गया है। आज रेडियो का अपना एप है। व्हाट्सएप और यूट्यूब पर भी गाने सुने जा रहे हैं। ई-मेल के माध्यम से फरमाइशें की जाती हैं। प्रतिदिन सैकड़ों-हजारों पत्र भी आते हैं।
रागम, आराधना, आरोग्यम, आपकी फरमाइश सब ऑनलाइन हो गए हैं। इससे रेडियो प्रेमियों का उत्साह बरकरार है। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात का प्रसारण कारगर सिद्ध हो रहा है। देशभर में लगभग 200 स्टेशन हैं। इनमें अधिकतर का प्रसारण 24 घंटे हो रहा है।
क्या कहते हैं रेडियो बनाने वाले
पड़ाव के सूजाबाद में रहने वाले 60 वर्षीय इकबाल खान के पास कुछ वर्षों से ट्रांजिस्टर रेडियो मरम्मत के काम आने लगे हैं। उनका अकेले का खर्चा निकल जाता है। वे बताते हैं कि जब से पीएम मोदी के मन की बात की शुरुआत हुई है, तब से कुछ लोग रेडियो को पूछने जरूर लगे हैं।
इकबाल के हाथों में उम्र की झुर्रियां जरूर पड़ गई हैं, लेकिन जब वे रेडियो बनाते हैं तो उन्हें अपनी जवानी के दिन याद आ जाते हैं। इस बात की तस्दीक उनकी पत्नी शैरून निशा भी करती हैं, क्योंकि एक ट्रांजिस्टर रेडियो वे भी अपने मायके से दहेज में लेकर आई थीं। एक दौर था, जब हुकुलगंज स्थित इकबाल की दुकान पर सैकड़ों रेडियो मरम्मत के लिए आते थे।
रेडियो ट्यूनर को सही फ्रीक्वेंसी पर सेट करवाने के लिए ही सही, पर उनकी दुकान गुलजार रहती थी। वे बताते हैं कि रेडियो सुनने वाले कभी-कभार आ जाते हैं, तो मुझे भी अच्छा लगता है। इसी बहाने अपना हुनर काम आ जाता है। पहले के रेडियो क्वायल बेस बनते थे, उनमें मजबूती होती थी। अब तो सारा काम एक प्लेट और आइसी पर रहता है।