नैनीताल निकाय चुनाव: भाजपा की हार का कारण क्या? 6 सीटों पर शिकस्त

उत्तराखंड के नैनीताल जिले में हुए हालिया नगर निकाय चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन उम्मीद से काफी नीचे रहा। जिले के सात नगर निकायों में से सिर्फ हल्द्वानी नगर निगम में भाजपा अपनी जीत बरकरार रखने में सफल रही। बाकी छह सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, कुमाऊं मंडल के 42 नगर निकायों में भाजपा ने 21 सीटें जीतकर अपना दबदबा बनाए रखा, लेकिन नैनीताल जिले में यह प्रदर्शन सबसे खराब रहा।पार्टी के नेताओं का मानना है कि पिछले एक साल से नगर निकायों की जिम्मेदारी प्रशासकों के पास थी, और प्रशासनिक स्तर पर कई कमियां सामने आईं। कुछ अधिकारियों ने कार्यों में लापरवाही बरती और जन समस्याओं का समाधान प्राथमिकता से नहीं किया, जिससे जनता में नाराजगी बढ़ी। इसके अलावा, कई अधिकारी जनता से दूरी बनाए रहे, जिसका पार्टी पर नकारात्मक असर पड़ा।
नैनीताल जिले की तीन नगर पालिकाएं—नैनीताल, भवाली और भीमताल—कांग्रेस ने जीत ली हैं, जबकि कालाढूंगी, रामनगर और लालकुंआ में निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। केवल हल्द्वानी नगर निगम पर भाजपा का कब्जा बरकरार रहा। कांग्रेस ने नैनीताल और भीमताल सीटों पर लगातार दूसरी बार जीत हासिल की। यह भाजपा के लिए बड़ा झटका था, क्योंकि इन सीटों पर पार्टी का दबदबा था।हालांकि, भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि हार के बावजूद कई जगहों पर वोटों का अंतर बहुत कम था, जिससे यह उम्मीद की जाती है कि पार्टी आगामी चुनावों में अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है।
कुमाऊं के अन्य जिलों जैसे अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, ऊधम सिंह नगर और चंपावत में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा।पिछले नगर निकाय चुनाव में भाजपा ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी, जिनमें हल्द्वानी, भवाली और कालाढूंगी शामिल थीं, लेकिन इस बार यह संख्या घटकर एक हो गई। भाजपा के जिलाध्यक्ष प्रताप बिष्ट ने कहा कि पार्टी हार के कारणों की समीक्षा करेगी और भविष्य में सुधार के उपाय किए जाएंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि भाजपा की स्थिति पिछले चुनावों से बेहतर रही है।